इलाहाबाद फिर बना 444 साल बाद प्रयागराज, यूपी कैबिनेट ने दी मंजूरी

बता दें कि शाविनर को राज्यपाल और सीएम योगी की अध्यक्षता में सर्किट हाउस में मार्गदर्शक मंडल की तरफ से संतों की तरह से एक बैठक का आयोजन किया गया था

देश Manoj Pandey|
इलाहाबाद फिर बना 444 साल बाद प्रयागराज, यूपी कैबिनेट ने दी मंजूरी
मुख्यमंत्री योग��ी

बता दें कि शाविनर को राज्यपाल और सीएम योगी की अध्यक्षता में सर्किट हाउस में मार्गदर्शक मंडल की तरफ से संतों की तरह से एक बैठक का आयोजन किया गया था

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इलाहाबाद फिर बना 444 साल बाद प्रयागराज, यूपी कैबिनेट ने दी मंजूरी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ( Photo Credit: PTI/ Facebook )

लखनऊ: संगम नगरी इलाहाबाद का नाम बदलकर 'प्रयागराज' कर दिया गया. यूपी कैबिनेट ने मंगलवार फैसले पर मुहर लगा दी है. सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज किये जाने की घोषणा किया था. दरअसल इलाहबाद का नाम पुराणों में प्रयागराज ही था और अकबर के शासनकाल में इसे इलाहाबाद कर दिया गया था.

बता दें कि शाविनर को राज्यपाल और सीएम योगी की अध्यक्षता में सर्किट हाउस में मार्गदर्शक मंडल की तरफ से संतों की तरह से एक बैठक का आयोजन किया गया था. इस बैठक में इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयाग रखे जाने को लेकर एक प्रस्ताव रखा गया. इस प्रस्ताव पर सीएम योगी और राज्यपाल राम नाईक ने सहमति जताते हुए अपनी तरफ से मंजूरी दे दिया है.

वहीं सरकार के इस फैसले का सपा पहले ही विरोध कर चुकी है, अखिलेश यादव ने ट्वीट कर लिखा था, ' राजा हर्षवर्धन ने अपने दान से ‘प्रयाग कुम्भ’ का नाम किया था और आज के शासक केवल ‘प्रयागराज’ नाम बदलकर अपना काम दिखाना चाहते हैं. इन्होंने तो ‘अर्ध कुम्भ’ का भी नाम बदलकर ‘कुम्भ’ कर दिया है. ये परम्परा और आस्था के साथ खिलवाड़ है.'

किसने और कब बदला था नाम

कहा जाता है कि इलाहबाद का नाम मुगल राजा अकबर ने बदला था. इस बात का जिक्र

अकबरनामा और आईने अकबरी व अन्य मुगलकालीन ऐतिहासिक पुस्तकों से पता चलता है. अकबर ने उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में सन 1574 के आसपास में अपने किले की नींव रखी थी. जिसके बाद अकबर ने यहां पर एक नया नगर बनाया और उसका नाम इलहाबाद रखा. इससे पहले इसे प्रयागराज के नाम से ही जाना जाता था.

प्रयागराज का पौराणिक महत्व :

पौराणिक काल में प्रयागराज का विशेष महत्व बताया गया है. यहां के जल से राजा-महराजा का अभिषेक किया जाता था. कहा जाता है कि वनवास के दौरान जब प्रभु श्री राम वन के लिए रवाना हुए तो प्रयाग में भारद्वाज ऋषि के आश्रम पर होते हुए गए थे. इसका जिक्र मत्स्य पुराण में भी इसका है. उसमें लिखा गया है कि प्रयाग प्रजापति का क्षेत्र है जहां गंगा और यमुना बहती है. इसलिए उसका नाम प्रयागराज पड़ा था.

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