पटना: बिहार के मुजफ्फरपुर (Muzaffarpur) में एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) यानी चमकी बुखार की चपेट में आने से अब तक 137 मासूमों की मौत हो चुकी है. हालांकि राहत की बात यह है कि बारिश होने से एईएस के मामलें राज्य में कम हुए है और इससे पीड़ित बच्चों के अस्पताल आने की संख्या में कमी देखी जा रही है. उधर, इस संदिग्थ बीमारी से राज्य में बच्चों की मौत का आंकड़ा पिछले महीने ही 150 के पार जा चुका है.
मिली जानकारी के मुताबिक अकेले मुजफ्फरपुर जिले में चमकी बुखार या जापानी बुखार (एईएस) की वजह से 137 जिन्दगियां जा चुकी है. इसमें से श्री कृष्ण मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पीटल (एसकेएमसीएच) में 116 और केजरीवाल अस्पताल में 21 बच्चों की मौत हुई है. जबकि सैकड़ों का इलाज चल रहा है. जिनमे से कुछ की हालत गंभीर होने की खबर है.
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Bihar: Death toll due to Acute Encephalitis Syndrome (AES) rises to 137 in Muzaffarpur. 116 dead at SKMCH and 21 at Kejriwal Hospital. pic.twitter.com/FiAxKr8UIf
— ANI (@ANI) July 3, 2019
उधर, मौत के मुंह से बाहर आने वाले बच्चों के ऊपर एक नया खतरा मंडरा रहा है. बिहार के मुजफ्फरपुर जिले सहित करीब 20 जिलों में फैले एईएस से पीड़ित होकर ठीक होने वाले बच्चों के अब दिव्यांग होने का खतरा है. एईएस के कारणों की जांच कर रही केंद्रीय टीम ने आशंका जताई है कि एईएस पीड़ित बच्चे मानसिक रूप से बीमार हो सकते हैं या उनके शरीर का कोई अंग प्रभावित हो सकता है. ऐसे में ठीक होकर घर लौटे बच्चों में रोगों से बचने के लिए प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाने की जरूरत है.
इस बीमारी से प्रभावित जिलों में मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण, वैशाली, समस्तीपुर, सीतामढ़ी, औरंगाबाद, बांका, बेगूसराय, भागलपुर, भोजपुर, दरभंगा, गया, जहानाबाद, किशनगंज, नालंदा, पश्चिमी चंपारण, पटना, पूर्णिया, शिवहर, सुपौल शामिल हैं. इनमें से मुजफ्फरपुर जिले के बाद पूर्वी चंपारण जिला सर्वाधिक प्रभावित हुआ है.
गौरतलब हो कि सूबे में गर्मी के मौसम की शुरुआत के साथ ही एईएस का कहर भी प्रारंभ हो गया था. स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े के मुताबिक, राज्य में एईएस या चमकी बुखार से अब तक 800 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं, जिसमें से 155 से ज्यादा बच्चों की मौत हो चुकी है.