रांची, 24 सितंबर : झारखंड उच्च न्यायालय ने कहा कि राज्य विधानसभा में कथित अवैध नियुक्तियों के मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपी जानी चाहिए. अदालत ने विधानसभा में कथित अवैध नियुक्तियों से जुड़ी एक जनहित याचिका पर सोमवार को सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश सुनीता नारायण प्रसाद और न्यायमूर्ति ए के राय की खंडपीठ ने शिव शंकर शर्मा की जनहित याचिका पर सुनवाई की जिसमें दावा किया गया है कि नियुक्तियां भ्रष्ट और अवैध तरीके से की गयीं.
झारखंड उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति विक्रमादित्य प्रसाद की अगुवाई वाली एक समिति ने नियुक्ति प्रक्रिया में अनियमितताएं पायी थीं. इसके बाद सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति एसजे मुखोपाध्याय की अध्यक्षता वाले एक आयोग ने एक अन्य रिपोर्ट दी थी. याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता राजीव कुमार ने दलील दी कि दो न्यायिक आयोगों की रिपोर्ट में साफ तौर पर घोर अनियमितताओं का संकेत मिलता है. यह भी पढ़ें : एआईटीए के चुनाव के खिलाफ सोमदेव की अपील पर उच्च न्यायालय ने नोटिस जारी किया
न्यायमूर्ति मुखोपाध्याय की रिपोर्ट के आधार पर 2018 में तत्कालीन राज्यपाल ने विधानसभा अध्यक्ष को उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया था. हालांकि, 2021 तक कोई कार्रवाई नहीं की गयी है जिसके कारण मामला उच्च न्यायालय ले जाया गया . शर्मा की याचिका में कहा गया है कि राज्यपाल की अधिसूचना और अवैध नियुक्तियों के संबंध में आयोग के निष्कर्षों के बावजूद विधानसभा ने कोई कार्रवाई नहीं की. उन्होंने आगाह किया कि अवैध तरीकों से नियुक्त किए गए लोग जल्द ही बिना कोई परिणाम भुगते सेवानिवृत्त हो जाएंगे.