
रूस के हमले के बीच अमेरिका से लगातार सैन्य समर्थन की उम्मीद लगाए बैठे यूक्रेन ने अब एक बड़ा बयान दिया है. यूक्रेन के प्रधानमंत्री डेनिस शमीहाल ने मंगलवार को कहा कि उनका देश अमेरिका के साथ खनिज समझौते (Mineral Deal) पर "किसी भी समय" हस्ताक्षर करने के लिए तैयार है. उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूक्रेन को दी जाने वाली सैन्य मदद रोकने का ऐलान किया है.
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रधानमंत्री श्मिहाल ने कहा, "हम संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ इस सहयोग को किसी भी समय शुरू करने के लिए तैयार हैं. हम अपने देश की सुरक्षा के लिए हर संभव कदम उठाएंगे." यूक्रेन के लिए अमेरिका और यूरोप से सुरक्षा गारंटी मिलना बेहद जरूरी है. उन्होंने कहा, "हमें अमेरिका, यूरोप और G7 देशों से ठोस सुरक्षा गारंटी की जरूरत है. यह सिर्फ यूक्रेन के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे यूरोपीय संघ और महाद्वीप के लिए भी अस्तित्व का सवाल है."
ट्रंप ने रोकी सैन्य मदद, रूस ने बताया 'शांति के लिए सही कदम'
डोनाल्ड ट्रंप द्वारा यूक्रेन को सैन्य मदद रोकने का ऐलान करने के बाद वैश्विक स्तर पर हलचल मच गई है. इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए रूस ने इसे "शांति के लिए सबसे बड़ा योगदान" बताया है.
क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा, "यह एक ऐसा कदम है जो वास्तव में कीव शासन को शांति वार्ता के लिए मजबूर कर सकता है." रूस लंबे समय से यूक्रेन को पश्चिमी देशों से मिलने वाली सैन्य मदद का विरोध करता रहा है.
यूक्रेन-अमेरिका खनिज समझौते का क्या है महत्व?
यूक्रेन दुर्लभ खनिजों (Rare Minerals) का एक बड़ा भंडार रखता है, जिनका इस्तेमाल इलेक्ट्रॉनिक्स, बैटरी और रक्षा उद्योग में किया जाता है. अगर यह समझौता होता है, तो अमेरिका को रणनीतिक खनिजों की आपूर्ति मिलेगी, और बदले में यूक्रेन को आर्थिक और तकनीकी समर्थन मिल सकता है. हालांकि, अमेरिका और यूक्रेन के बीच यह सहयोग रूस को और ज्यादा नाराज कर सकता है.
क्या यूक्रेन बिना अमेरिकी मदद के जंग जीत सकता है?
यूक्रेन के लिए अमेरिकी सैन्य मदद बेहद अहम रही है. अगर यह सहायता बंद होती है, तो युद्ध में यूक्रेन की स्थिति कमजोर हो सकती है. हालांकि, प्रधानमंत्री श्मिहाल का कहना है कि उनका देश हर हाल में लड़ाई जारी रखेगा.
यूक्रेन ने साफ कर दिया है कि वह अमेरिका के साथ खनिज समझौते पर किसी भी वक्त हस्ताक्षर करने के लिए तैयार है. वहीं, ट्रंप के फैसले के बाद रूस और यूक्रेन के बीच शांति वार्ता की अटकलें भी तेज हो गई हैं. अब देखना होगा कि आने वाले दिनों में अमेरिका और यूरोप इस मामले में क्या रुख अपनाते हैं.