बेंगलुरु, 7 जनवरी : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने सूर्य का अध्ययन करने के लिए देश के पहले सौर मिशन यान ‘आदित्य एल1’ को शनिवार को पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर अपनी अंतिम गंतव्य कक्षा में स्थापित करा दिया. भारत का अंतरिक्ष मिशन यान आदित्य एल-1 अंतरिक्ष में 126 दिन तक 15 लाख किलोमीटर की यात्रा करने के बाद शनिवार को सफलतापूर्वक अपने अंतिम गंतव्य पर पहुंच गया, जिसके साथ बधाइयों को सिलसिला शुरू हो गया. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसकी घोषणा की. आदित्य-एल1 यान को दो सितंबर को प्रक्षेपित किया गया था और यह ‘लैग्रेंजियन पॉइंट 1’ पर पहुंच गया है, जहां से यह सूर्य की परिक्रमा करके उसका अध्ययन करेगा. मोदी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘भारत का पहला सौर अनुसंधान उपग्रह आदित्य-एल1 अपने गंतव्य तक पहुंच गया. यह सबसे जटिल और कठिन अंतरिक्ष मिशनों में से एक को साकार करने में हमारे वैज्ञानिकों के अथक समर्पण का प्रमाण है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस असाधारण उपलब्धि की सराहना करने में राष्ट्र के साथ हूं. हम मानवता की भलाई के लिए विज्ञान की नई सीमाओं को पार करते रहेंगे.’’ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस उपलब्धि के लिए पूरे वैज्ञानिक समुदाय की सराहना की.
मुर्मू ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘इसरो ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है. भारत के पहले सूर्य मिशन ‘आदित्य-एल1’ को सफलतापूर्वक गंतव्य कक्षा में स्थापित किया गया है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘इस शानदार उपलब्धि के लिए पूरे भारतीय वैज्ञानिक समुदाय को बधाई. यह मिशन सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के बारे में हमारे ज्ञान को बढ़ाएगा और पूरी मानवता को लाभान्वित करेगा.’’ इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने कहा कि शनिवार का कार्यक्रम केवल आदित्य-एल1 को सटीक ‘हालो’ कक्षा में स्थापित करने से संबंधित था.
उन्होंने संवाददताओं से कहा, ‘‘यह हालो ऑर्बिट की ओर बढ़ रहा था लेकिन हमें इसे सही दिशा में रखने के लिए थोड़ा सुधार करना पड़ा. इसलिए इसे सही दिशा में रखने के लिए उपग्रह को 31 मीटर प्रति सेकंड का वेग देना पड़ा.’’ केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने चंद्रयान मिशन के चंद्रमा पर उतरने की सफलता को याद करते हुए कहा, “चांद पर चहलकदमी से लेकर सूरज के पास पहुंचने तक.” यह भी पढ़ें : Jammu and Kashmir: जम्मू कश्मीर के दौरे पर जेपी नड्डा, लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर करेंगे मंथन
सिंह ने अंतरिक्ष वातावरण के अध्ययन के महत्व को रेखांकित किया और उदाहरण दिया कि ‘स्पेसएक्स’ ने पिछले साल सौर तूफानों में 40 उपग्रह खो दिए थे. मंत्री ने कहा, “हमार कई उपग्रह काम कर रहे हैं और इसलिए हमारे लिए सूर्य से होने वाली विभिन्न घटनाओं - चुंबकीय क्षेत्र, सौर तूफानों पर खोज करनी जरूरी है. अब आदित्य एल-1 जो हमें बताने जा रहा है, उसपर बाकी दुनिया की भी नजरें हैं.” केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी मिशन की सराहना करते हुए ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘अंतरिक्ष के माध्यम से भारत की यात्रा में एक और मील का पत्थर!! हमारा पहला सौर अनुसंधान उपग्रह आदित्य-एल1 अंतरिक्ष में अपने गंतव्य तक पहुंच गया है. यह इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना है जो हमें विज्ञान और प्रौद्योगिकी में उत्कृष्टता के माध्यम से मानव कल्याण प्राप्त करने के हमारे सभ्यतागत लक्ष्य के करीब ले जाती है.” सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान के अपने गंतव्य तक पहुंचने को "अंतरिक्ष अन्वेषण की हमारी यात्रा में एक और ऐतिहासिक क्षण” करार दिया. ठाकुर ने कहा, “भारत की पहली सौर वेधशाला, आदित्य-एल1, सबसे कठिन और सबसे अधिक मांग वाले अंतरिक्ष मिशनों में से एक को पूरा करते हुए, अपने स्थान पर पहुंच गई है.”
वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, “विंग्स ऑफ फायर! भारत की पहली सौर वेधशाला आदित्य-एल1 को उसके निर्धारित गंतव्य में सफलतापूर्वक स्थापित करने के लिए इसरो के समर्पित वैज्ञानिकों को बधाई. पहले चंद्रमा, अब सूरज... हमारी अंतरिक्ष यात्रा अजेय है.” भाजपा प्रमुख जे.पी. नड्डा ने कहा, “राष्ट्र इस महत्वपूर्ण मिशन की सफलता के लिए हमारे समर्पित वैज्ञानिकों के वैज्ञानिक कौशल और प्रयासों की सराहना करता है, जो सूर्य के विभिन्न पहलुओं के बारे में मनुष्यों की समझ को आगे बढ़ाएगा.” कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, “हम इसरो में हमारे समर्पित वैज्ञानिकों और अंतरिक्ष इंजीनियरों द्वारा एक असाधारण मील का पत्थर पर देशवासियों को बधाई देते हैं.” ‘आदित्य एल1’ को सूर्य परिमंडल के दूरस्थ अवलोकन और पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर ‘एल1’ (सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंजियन बिंदु) पर सौर वायु का वास्तविक अवलोकन करने के लिए डिजाइन किया गया है. अधिकारियों ने बताया कि इस मिशन का मुख्य उद्देश्य सौर वातावरण में गतिशीलता, सूर्य के परिमंडल की गर्मी, सूर्य की सतह पर सौर भूकंप या ‘कोरोनल मास इजेक्शन’ (सीएमई), सूर्य के धधकने संबंधी गतिविधियों और उनकी विशेषताओं तथा पृथ्वी के करीब अंतरिक्ष में मौसम संबंधी समस्याओं को समझना है.