Chandrayaan-4 To Launch In 2027: भारत सरकार ने तीन प्रमुख वैज्ञानिक मिशनों, गगनयान, समुद्रयान और चंद्रयान-4 के लॉन्च की समय-सीमा की पुष्टि कर दी है. विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि गगनयान और समुद्रयान मिशन अगले साल यानी 2026 में लॉन्च किए जाएंगे, जबकि चंद्रयान-4 मिशन 2027 में लॉन्च किया जाएगा. चंद्रयान-4 मिशन का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा की सतह से सैंपल इकट्ठा कर पृथ्वी पर वापस लाना है.
यह मिशन दो अलग-अलग भारी-भरकम LVM-3 रॉकेट के जरिए लॉन्च किया जाएगा, जिसमें पांच अलग-अलग मॉड्यूल होंगे.
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'गगनयान पूरी तरह से स्वदेशी है'
VIDEO | Union Minister Dr Jitendra Singh
(@DrJitendraSingh) says, "Gaganyaan is completely indigenous, the technology is indigenous, and the astronauts will also be Indians. An Indian Rakesh Sharma had gone to the space, but it was a Soviet mission. If you talk about the status… pic.twitter.com/Z5kGy2XsyE
— Press Trust of India (@PTI_News) February 6, 2025
चंद्रयान-4: चांद से सैंपल लाने की तैयारी
इससे पहले भारत के चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 मिशन चंद्रमा की सतह, उपसतह और एक्सोस्फीयर (वायुमंडल) का अध्ययन करने के लिए भेजे गए थे. वहीं, चंद्रयान-3 ने सफलतापूर्वक चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग की थी. चंद्रयान-4 मिशन इस सफलता को आगे बढ़ाएगा और पहली बार चांद से सैंपल लाने में भारत को सक्षम बनाएगा.
गगनयान मिशन: अंतरिक्ष में भारतीयों की उड़ान
गगनयान मिशन का लक्ष्य भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को लो-अर्थ ऑर्बिट (पृथ्वी की निचली कक्षा) तक भेजना और उन्हें सुरक्षित वापस लाना है. मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि गगनयान का पहला मानव रहित मिशन, जिसमें रोबोट ‘व्योममित्र’ शामिल होगा, इसी साल लॉन्च होगा. भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को लेकर सिंह ने कहा कि पिछले एक दशक में इसमें तेजी आई है. देश में तीसरे लॉन्च पैड का निर्माण किया जा रहा है और छोटे सैटेलाइट्स के लिए तमिलनाडु के तूतीकोरिन में नया लॉन्च स्टेशन बनाया जा रहा है.
समुद्रयान मिशन: महासागर की गहराइयों में खोज
समुद्रयान मिशन 2026 में लॉन्च किया जाएगा, जिसके तहत तीन वैज्ञानिकों को 6,000 मीटर की गहराई तक समुद्र में भेजा जाएगा. यह मिशन महासागर में दुर्लभ खनिज, कीमती धातु और नई जैव विविधता खोजने में मदद करेगा.
जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह मिशन देश की आर्थिक वृद्धि और पर्यावरणीय संतुलन के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा. इसके साथ ही, यह भारत के अंतरिक्ष और महासागर विज्ञान के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि होगी.













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