Gujarat: लोगों की सहूलियत के लिए बेगुनाह जानवरों की बलि नहीं दी जा सकती- गुजरात उच्च न्यायालय
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अहमदाबाद, 12 दिसंबर : गुजरात उच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि लोगों की सुविधा के लिए निर्दोष पशुओं की बलि नहीं दी जा सकती. अदालत ने यह टिप्पणी आवारा पशुओं की समस्या से निपटने के लिए राज्य सरकार की नीति के तहत मवेशी बाड़े में रखी गई 30 गायों की मौत पर सुनवाई के दौरान की. न्यायमूर्ति आशुतोष शास्त्री और न्यायमूर्ति हेमंत प्रच्छक की पीठ ने कहा कि नडियाद नगर निगम की जमीन पर गायों के अवशेषों को फेंकने की तस्वीर ‘‘बहुत व्यथित करने वाली और चौंकाने वाली’’ थी.

अदालत ने मामले में जिला कलेक्टर से रिपोर्ट तलब की है. अदालत ने नडियाद निवासी मौलिक श्रीमाली द्वारा दाखिल अदालत की अवमानना की याचिका में दायर एक हलफनामे को रिकॉर्ड पर लिया जो मवेशियों की समस्या को रोकने के लिए निर्देश देने का अनुरोध करने वाली जनहित याचिका से संबंधित थी. श्रीमाली ने अपने हलफनामे में कहा कि उन्हें मवेशियों के बाड़े में जानवरों की मौत के बारे में खबर मिली जिसके बाद संभवत: नडियाद नगर निगम की जमीन के एक खुले हिस्से में 30 गायों के अवशेष फेंकने की जानकारी हुई. यह भी पढ़ें : देश की खबरें | केरल के राज्यपाल ने प्रदर्शन मामले में मुख्यमंत्री विजयन के खिलाफ रुख कड़ा किया

न्यायमूर्ति शास्त्री ने कहा, ‘‘बहुत परेशान करने वाला और चौंकाने वाला...हमें लगता है कि किसी नीति को विनियमित करने और लागू करने की आड़ में इन निर्दोष जानवरों की बलि नहीं दी जा सकती. मानव जीवन की सुविधा के लिए, हम ऐसी चीज की अनुमति नहीं दे सकते.’’ उन्होंने कहा, ‘‘अगर ऐसा हो रहा है तो भगवान भी हमें माफ नहीं करेंगे. निर्दोष जानवरों को इस तरह खत्म नहीं किया जा सकता. ...लोगों की सुविधा के लिए एक भी निर्दोष जानवर की बलि नहीं दी जानी चाहिए ...’’