
02 मार्च 2025, रविवार से रमजान का पाक महीना शुरू हो जाएगा. इस्लाम धर्म में रमजान माह को सर्वाधिक महत्वपूर्ण और पाक महीना माना जाता है. यह पवित्र मास मुसलमानों के जीवन में गहरी आध्यात्मिक और सामाजिक भूमिका निभाते हैं. यहां कुछ महत्वपूर्ण तथ्य दिए गए हैं, जो रमजान के आचार और संस्कार से संबंधित हैं. आइये जानते हैं, रमजान के दिनों में किये जाने वाली गतिविधियों के बारे में विस्तार से..
रोज़ा (उपवास) रखनाः रमजान माह में मुसलमानों को सूर्योदय से सूर्यास्त तक रोज़ा रखना होता है. इस दरमियान वे ना कुछ खाते-पीते हैं, ना ही किसी के साथ बुरा व्यवहार (झूठ बोलना, क्रोध करना, अपशब्द के इस्तेमाल) आदि से बचते हैं. रोजा का उद्देश्य आत्म-नियंत्रण, संयम और अल्लाह के प्रति श्रद्धा रखना है. यह भी पढ़ें : Ramadan 2025: रमजान के पवित्र महीने में रोजे के दौरान स्वस्थ रहने के 6 जरूरी टिप्स
सहरी और इफ्तारः रोज़े की शुरुआत सूर्योदय से पहले एक भोजन से होती है, जिसे सहरी कहते हैं. यह प्रातःकाल खाया जाता है, ताकि दिन भर उपवास सहन किया जा सके.
इफ्तार: सूर्यास्त के समय रोजा खोला जाता है. इफ्तार में अमूमन खजूर, पानी और हल्के भोजन का सेवन किया जाता है. इफ्तार समुदाय के साथ करने की परंपरा है
तहरा (तरावीह) प्रार्थनाः रमजान माह में रात के समय तरावीह नमाज अदा की परंपरा है, इसे विशेष नमाज कहा जाता है. यह नमाज सामूहिक रूप से मस्जिद में पढ़ी जाती है. इसमें 20 रकात होती है.
ज़कात और सदकाः रमजान माह समाज सेवा और जरूरतमंदों की मदद करने के लिए भी महत्वपूर्ण है. इस माह मुसलमानों को ज़कात (दान) देने के लिए प्रेरणा दी जाती है, ताकि वह गरीबों और जरूरतमंदों की मदद हो.
कुरान का तिलावतः रमजान माह में मुसलमानों को कुरान पढ़ने की प्रेरणा दी जाती है. इस्लाम धर्म के अनुसार रमजान काल में ही कुरान का अवतरण हुआ था, और इस माह में इसका अधिक से अधिक पठन करने से अल्लाह प्रसन्न होते हैं.
आत्म-नियंत्रण और तपः रमजान महज शारीरिक उपवास तक सीमित नहीं, बल्कि एक मानसिक और आध्यात्मिक तप भी है. इस दौरान, मुसलमान अपना क्रोध, वासना, अपशब्द के इस्तेमाल एवं बुरी आदतों पर नियंत्रण रखने का प्रयास करते हैं. यह समय आत्म मूल्यांकन, आत्म-निर्माण और अल्लाह के करीब आने का होता है.
सामाजिक एकता और भाईचाराः रमजान का महीना समाज में एकता, भाईचारे और सहयोग की भावना को बढ़ावा देता है. रमजान काल में मुसलमान सामूहिक रूप से रोज़ा रखते हैं, इफ्तार करते हैं और तरावीह पढ़ते हैं, जिससे समुदाय में एकता की भावना मजबूत होती है.