
कोका कोला की वजह से 2030 तक 60 करोड़ किलो से ज्यादा प्लास्टिक कचरा दुनिया के महासागरों और जलमार्गों में हर साल जाएगा.इतना प्लास्टिक महासागरों की 1.8 करोड़ व्हेलों के पेट को पूरी तरह भर सकता है. गैरलाभकारी संगठन ओशेयाना की तरफ से जारी एक नई रिसर्च रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है.
रिपोर्ट ऐसे वक्त में आई है जब मानव स्वास्थ्य पर माइक्रोप्लास्टिक के खतरे को लेकर चिंता बढ़ती जा रही है. वैज्ञानिक इसे कैंसर, नपुंसकता, हृदयरोग और दूसरी कई खतरनाक बीमारियों से जोड़ते हैं. इसके साथ ही यह पर्यावरण के लिए भी बेहद खतरनाक है.
कारोबारी प्रदूषकों के खिलाफ ओशेयाना के अभियानों का नेतृत्व करने वाले मैट लिटिलजॉन का कहना है, "कोका कोला दुनिया में पेय पदार्थों का सबसे बड़ा उत्पादक और विक्रेता है."
सबसे ज्यादा प्लास्टिक प्रदूषण कोका कोला से
कोका कोला दुनिया में प्लास्टिक प्रदूषण फैलाने वाले ब्रांडों में सबसे ऊपर है. साइंस एडवांसेज में 2024 में छपी एक रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक उसके बाद पेप्सिको, नेस्ले, डैनोन और आल्ट्रिया की बारी आती है.
ओशेयाना का आकलन पैकेजिंग के बारे में कोका कोला की सार्वजिनक रूप से जारी रिपोर्टों पर आधारित है. ओशेयाना ने आकलन के लिए 2018 से 2023 तक के आंकड़ों का इस्तेमाल किया गया है. इसके साथ ही इसमें भविष्य में होने वाले बिक्री में बढ़ोत्तरी के अनुमानों और सामान्य व्यापार के परिदृश्यों को भी जोड़ा गया है. इसके नतीजे में जो आंकड़ा मिला है उसके मुताबिक 2030 तक कंपनी का प्लास्टिक इस्तेमाल 41.3 लाख मिट्रिक टन यानी करीब 414 करोड़ किलो सालाना तक बढ़ जाएगा.
ओलंपिक से कोका कोला को बार करने की मांग
इसमें से कितना प्लास्टिक जलीय इकोसिस्टम में पहुंचेगा इसका आकलन करने के लिए रिसर्चरों ने एक खास तरीका अपनाया है. इसे पीयर रिव्यूड मेथड कहा जाता है जिसे अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों की एक टीम ने तैयार किया है और यह साइंस जर्नल में 2020 में छपा था. इस विधि से तैयार आंकड़े बताते हैं कि तकरीबन 1.33 अरब पाउंड यानी 60 करोड़ किलो से ज्यादा प्लास्टिक कचरा महासागरों और जलमार्गों में जाएगा. यह आधे लीटर की लगभग 220 अरब बोतलों के बराबर है.
ओशेयाना के मुताबिक इस विशालकाय आंकड़े को घटाने का एक ही तरीका है कि पैकेजिंग को दोबारा इस्तेमाल के लायक बनाया जाए. फिर चाहे वो लौटाई जाने वाली कांच की बोतले हों जो कम से कम 50 बार दोबारा इस्तेमाल हो सकती हैं या फिर मोटे पीईटी प्लास्टिक कंटेनर जो 25 बार इस्तेमाल के लिए बनाए जाते हैं.
दोबारा इस्तेमाल होने वाले पैकेजिंग का इस्तेमाल
2022 में कोका कोला ने खुद भी माना था कि दोबारा इस्तेमाल होने वाली पैकेजिंग "कचरे को घटाने का सबसे कारगर तरीकों में शामिल है." कोका कोला ने यह प्रतिबद्धता भी जताई थी कि दोबारा इस्तेमाल होने वाली पैकेजिंग का इस्तेमाल 2030 तक 25 फीसदी तक पहुंचाया जाएगा. हालांकि दिसंबर 2024 में जारी नए सस्टेनिबिलिटी रोडमैप में इस प्रतिबद्धता को पूरी तरह हटा दिया गया.
कोका कोला में मौजूद एस्पार्टम से कैंसर भी हो सकता है
कंपनी के नए लक्ष्यों में इसकी बजाय पैकेजिंग में रिसाइकिल की जाने वाली चीजों को बढ़ाना और प्लास्टिक को जमा करने की दर बढ़ाने पर ध्यान दिया गया है. इसके साथ ही इस बात पर भी जोर दिया गया है कि सोडा की बोतलों को रिसाइकिल करना और ग्राहकों की आदत बदलना कितनी बड़ी चुनौती है.
पर्यावरण कार्यकर्ता लंबे समय से रिसाइक्लिंग पर ज्यादा निर्भर होने के खिलाफ चेतावनी देते रहे हैं. उनकी दलील है कि इसके जरिए अकसर आरोप ग्राहकों पर डाल दिया जाता है और समस्या की जड़ों को दूर करने के प्रयास नहीं होते.
लिटिलजॉन का कहना है, "रिसाइक्लिंग बढ़िया है, मुझे गलत मत समझिए लेकिन अगर आप रिसाइकिल प्लास्टिक का इस्तेमाल ज्यादा सिंगल यूज प्लास्टिक बनाने के लिए करना चाहते हैं तो यह एक समस्या है."
कोका कोला के पास समाधान मौजूद है
प्लास्टिक का उत्पादन तेल पर निर्भर है. ऐसे में कॉर्पोरेट प्लास्टिक का इस्तेमाल जलवायु परिवर्तन के सीधे कारकों में से एक है. हालांकि इसके बाद भी कुछ उम्मीद बाकी है. कोका कोला कई देशों में बड़े पैमाने पर रिफिल सिस्टम चला रही है. इनमें ब्राजील, जर्मनी, नाइजीरिया यहां तक कि अमेरिका के कुछ हिस्से मसलन टेक्सस भी शामिल हैं.
लिटिलजॉन का कहना है, "उनके पास किसी भी बेवरेजेज कंपनी की तुलना में दोबारा इस्तेमाल होने वाले बुनियादी ढांचे का सबसे बड़ा तंत्र मौजूद है और उनमें आगे बढ़ने की क्षमता है और वो बाकी उद्योग को भी रास्ता दिखा �d>