इस वर्ष सावन मास की पूर्णिमा और रक्षाबंधन की तिथि को लेकर कुछ ज्यादा ही दुविधा देखी जा रही है. जानें हमारे ज्योतिषाचार्य आचार्य श्री भागवत जी महाराज यहां किस तारीख को राखी बांधने की सलाह दे रहे हैं और क्या दलीलें दे रहे हैं.
ज्यों-ज्यों रक्षा बंधन की तिथि करीब आ रही है, सभी इस दुविधा को लेकर परेशान हैं कि इस बार बहनें 11 अगस्त को राखी बांधेंगी या 12 अगस्त को. क्योंकि दोनों ही तिथियों को लेकर काफी विरोधाभास अभी भी चल रहा है. हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष श्रावण मास की शुक्लपक्ष की पूर्णिमा के दिन बहनें भाइयों को और पुरोहित अपने यजमानों की कलाई में रक्षा सूत्र बांधते हैं. विभिन्न पंचांगों में दोनों ही तिथियों 11 एवं 12 अगस्त को भिन्न-भिन्न दलीलों के साथ राखी बांधने का उल्लेख मिल रहा है. हिंदू धर्म के अनुसार भद्रा काल में कोई भी शुभ कार्य नियोजित नहीं किया जाता, और चूंकि 11 तारीख को पूरे समय भद्रा लगा है, इसलिए 12 अगस्त को राखी बांधने के निर्देश दिये जा रहे हैं. लेकिन ज्योतिषाचार्य आचार्य श्री भागवत जी का कहना है कि चूंकि 11 अगस्त को ही सावन शुक्लपक्ष की पूर्णिमा है, और 12 तारीख को महज सुबह सात बजे तक पूर्णिमा है, इसलिए रक्षाबंधन का त्योहार 11 अगस्त को ही मनाया जाना चाहिए. इस संदर्भ में आचार्य जी ने कुछ ठोस तर्क भी प्रस्तुत किये हैं.
आचार्य श्री भागवत विभिन्न पंचांगों का अध्ययन करने के बाद अपना तर्क रखते हैं, -धर्मसिंधु, निर्णय सिंधु, पीयूष धारा, मुहूर्त चिंतामणि एवं तारा प्रसाद दिव्य पंचांग का अध्ययन करने पश्चात रक्षा बंधन मनाने की सही तिथि 11 अगस्त होनी चाहिए.’ 11 अगस्त को ही क्यों? के सवाल पर आचार्य बताते हैं, -इस वर्ष 11 अगस्त 2022 को दिन 10.39 बजे से पूर्णिमा तिथि प्रारंभ होकर पूरे दिन रहेगी. वहीं प्रातः 06.53 बजे श्रावण नक्षत्र लग जायेगा. धर्मसिंधु पंचांग के अनुसार प्रधानता नक्षत्र की नहीं बल्कि तिथि की देखी जाती है. पूर्णिमा 11 अगस्त को लग चुका है, औऱ 12 अगस्त को पूर्णिमा प्रातः 07.06 बजे तक ही है. यानी 12 अगस्त को सूर्योदय के बाद मात्र 18 मिनट तक पूर्णिमा है, जो कि एक मुहूर्त से भी कम का समय है.
11 अगस्त 2022 को भद्राकाल भी है, इस संदर्भ में आचार्य जी बताते हैं, यह सच है कि 11 अगस्त को पूरे समय भद्राकाल रहेगा, परंतु भद्राकाल मकर राशि में होने के कारण इसका वास पाताल लोक में माना जा गया है. इसका वर्णन पीयूषधारा में निम्न श्लोक के रूप में किया गया है.
स्वर्गे भद्रा शुभं कुर्यात् पाताले च धनागम।
मृत्युलोक स्थिता भद्रा सर्व कार्य विनाशनी ।।
कहने का आशय यह कि जब भद्रा स्वर्ग या पाताल लोक में लगती है, तब पृथ्वीलोक में वह शुभ फल प्रदान करने वाली होती है! इससे यह स्पष्ट होता है कि रक्षाबंधन के लिए 11 अगस्त बहुत ही महत्वपूर्ण और शुभ फलदायक साबित होने वाली है. जातक चाहें तो विशेष सुविधानुसार शुभ चौघड़िया आदि देखकर हर्षोल्लास के साथ 11 अगस्त, 2022 दिन गुरुवार को रक्षा बंधन का त्योहार मना सकते हैं.