नई दिल्ली: केरल के सबसे मुख्य त्योहारों में से एक ओणम है. श्रावण शुक्ल की त्रयोदशी तिथि को ओणम मनाया जाता है. इस त्योहार को फसल पकने की खुशी में मनाया जाता है. इसी प्रसन्नता में श्रावण देवता और फूलों की देवी का पूजन हर घर में होता है. अन्य भारतीय त्योहारों की तरह ओणम में भी घरों को सजाया जाता है. लोग सज-धज कर नाचना गाना करते हैं और घरों में रंगोली बनाते हैं.
यह त्योहार 10 दिनों तक मनाया जाता है, यूं तो हर दिन का अपना अलग महत्त्व है, पर शुरु और आखिरी के दिनों में हर्षोल्लास ज्यादा देखने को मिलता है. केरल में ओणम का यह पर्व उत्तरी भारत की दीपावली के समान धूम-धाम से मनाया जाता है. इस बार इसे 24 और 25 अगस्त को मनाया जा रहा है. 24 अगस्त को उथ्रादम (पहला ओणम) और 25 अगस्त को थिरूओणम (प्रमुख ओणम) मनाया जाएगा. मलयालम कैलेंडर के अनुसार ओणम साल के पहले महीने 'चिंगम' में पड़ता है.
यह है प्राचीन मान्यता
ऐसा माना जाता है कि ओणम की शुरूआत राज्य के राजा महाबली के स्वर्ण काल के दौरान हुई थी. वह साल में एक बार राज्य का भ्रमण करते थे, जिसके बाद ओणम त्योहार उनके आने के उत्सव के रूप में मनाया जाने लगा. लोगों में मान्यता है कि आज भी थिरूओणम के दिन राजा महाबली अपनी प्रजा से मिलने आते हैं.
ओणम की खास विशेषता यह है कि इसमें लोग मंदिरों में नहीं बल्कि अपने घरों में देवी-देवताओं की पूजा करते हैं. घरों के मंदिर परिसर की विशेष रूप से सफाई की जाती है और दीप और पुष्प मालाओं से इसे सजाया जाता है. मान्यता है कि इससे घर में बरकत आती है और खुशियां बनी रहती है. इस त्योहार में सुस्वादिष्ट पकवाओं का भी विशेष स्थान है. थिरूओणम के दिन घरों में 20 से ज्यादा पकवान बनाए जाते हैं, त्योहार के दौरान घरों में शाकाहारी भोजन ही बनता है. ओणम के दौरान केरल में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जिनमें नौका रेस और कथकली नृत्य प्रमुख हैं.