Jagadhatri Puja 2020: एक ओर जहां आज (23 नवंबर 2020) देश में आंवला नवमी (Amla Navami) का पर्व मनाया जा रहा है तो वहीं मां जगधात्री (Maa Jagadhatri) की पूजा भी की जा रही है. मां जगधात्री को विश्व की रक्षक कहा जाता है और उन्हें आदिशक्ति देवी दुर्गा (Devi Durga) का ही स्वरूप माना जाता है. अक्षय नवमी (Akshaya Navami) पर की जाने वाली इस पूजा को बंगाल (West Bangal) और ओडिशा (Odisha) में दुर्गा पूजा की तरह ही जोश और उत्साह से मनाया जाता है, जिसे जगधात्री पूजो (Jagadhatri Pujo) कहा जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, हर कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को जगधात्री पूजा (Jagadhatri Puja) का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है. दरअसल, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में रहने वालों को छोड़कर कुछ लोग ही इस पूजा के बारे में जानते हैं. आखिर यह त्योहार क्यों मनाया जाता है? जगधात्री पूजा का क्या महत्व है और किसने इस पूजा की शुरुआत की? चलिए इस लेख में विस्तार से जानते हैं.
किसने शुरू किया जगधात्री पूजा का उत्सव?
प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, जगधात्री की पूजा की शुरुआत बंगाल के नादिया से हुई थी और सबसे पहले कृष्णनगर के राजा कृष्णचंद्र ने जगधात्री की पूजा की थी. ऐसा माना जाता है कि राजा को दुर्गा पूजा के दौरान नवाब सिराज-उद-दुल्ला ने कर बकाया को लेकर गिरफ्तार किया था, जिसके बाद उन्हें दुर्गा पूजा के अंतिम दिन विजयादशमी पर रिहा किया गया था, राजा की गिरफ्तारी के कारण उनके राज्य में त्योहारों को भव्य रूप से नहीं मनाया जा सका, लेकिन जब राजा कृष्णचंद्र वापस लौटे तो उन्होंने जगधात्री पूजा का अनुष्ठान शुरू किया, जिसे दुर्गा पूजा की तरह हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. माना जाता है कि तब से जगधात्री पूजा का उत्सव धूमधाम से मनाया जाता है. यह भी पढ़ें: Amla Navami 2020: आंवला नवमी पर आंवले के वृक्ष की पूजा करने से प्राप्त होती है भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा, जानें विधि और महत्व
क्यों मनाया जाता है जगधात्री पूजा का उत्सव?
माना जाता है कि मां जगधात्री देवी दुर्गा का ही अवतार हैं. उन्हें देवी दुर्गा का सौम्य अवतार माना जाता है. देवी के चार हाथ हैं, जिसमें वे शंख, धनुष, चक्र और तीर धारण करती हैं. देवी दुर्गा की तरह ही जगधात्री देवी का वाहन सिंह है. देवी जगधात्री को सत्तोगुण का प्रतीक माना जाता है, जबकि देवी दुर्गा और मां काली को रजोगुण और तमोगुण का प्रतीक माना जाता है. दुर्गा पूजा की तरह ही बंगाल और ओडिशा में जगधात्री पूजा उत्सव को धूमधाम से मनाया जाता है.
कहां मनाया जाता है यह उत्सव?
जगधात्री पूजा का उत्सव पश्चिम बंगाल और ओडिशा के कुछ जगहों चंद्रनगर, कृष्णनगर, बोंची, भद्रेश्वर, हुगली, रिशरा, ईशापुर, तेहट्टा, अशोकनगर, कल्याणगढ़ और बारीपदा में धूमधाम से मनाया जाता है. यह एक विशेष सामाजिक-सांस्कृतिक उत्सव है. रामकृष्ण मिशन में विशेष रूप से जगधात्री पूजो का आयोजन किया जाता है. लोग स्वस्थ, सुखी और समृद्ध जीवन की कामना से देवी जगधात्री की आराधना करते हैं.