Chanakya Niti 2025:आचार्य चाणक्य ने अपनी एक नीति में स्त्रियों को कुलटा क्यों कहा है? जानें चाणक्य नीति के 16वें अध्याय का सच!
Chanakya Niti (img: file photo)

Chanakya Niti 2025: आचार्य चाणक्य भारतीय इतिहास में प्रख्यात अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ एवं कूटनीतिज्ञ के रूप में जाने जाते हैं. इसके साथ-साथ वह महान विद्वान और अपनी नीतियों के बारे में भी दुनिया भर में विख्यात हैं. सैकड़ों साल पूर्व आचार्य की संस्कृत में लिखी नीतियां आज भी हर क्षेत्र में प्रासंगिक मानी जाती हैं.

हालांकि उन्होंने समाज की कुछ स्त्रियों के चरित्रों के भिन्न-भिन्न स्वरूपों का चित्रण भी अपने चाणक्य नीति में किया है. आइये जानते हैं, आचार्य चाणक्य ने अपने 16 वें अध्याय के निम्न श्लोक में स्त्रियों के बारे में ऐसा क्या लिखा, जिसे काफी विवादास्पद माना जाता है.ये भी पढ़े:Chanakya Niti: काल की गति टालना भगवान के वश में भी नहीं! जानें चाणक्य के शब्दों में क्या है काल !

जल्पन्ति सार्धमन्येन पश्यन्त्यन्यं सविभ्रमाः।

हृदये चिन्तयन्त्यन्यं न स्त्रीणामेकतो रतिः॥

अर्थात कुछ स्त्रियां के भिन्न-भिन्न पुरुषों के साथ भ्रमपूर्ण संबंध होते हैं. वह हास-परिहास किसी व्यक्ति से करती है, तो भोग-विलास अथवा सेक्सुअल संबंध किसी और व्यक्ति से करना पसंद करती हैं, जबकि दिल से वह किसी और व्यक्ति को चाहती हैं.

   उपरोक्त श्लोक द्वारा चाणक्य ने स्त्रियों (कुछ विशेष स्त्रियां) की चंचल प्रवृत्ति का वर्णन किया है. आचार्य कहते हैं कि स्त्रियों का स्वभाव बेहद चलायमान होता है. वे खुले दिल से बातचीत किसी व्यक्ति से करती हैंजबकि विलासपूर्वक अथवा सहवास के लिए किसी और का साथ चाहती हैं, क्योंकि उनके मस्तिष्क में चिंतन किसी का चलता है, तो मन में वे किसी और की कामना करती हैं. स्त्रियों का प्रेम किसी एक के लिए नहीं होता. इसलिए उनके प्रेमयुक्त व्यवहार को अनुराग समझकर मन में गलतफहमी नहीं पालना चाहिए. हमारा समाज ऐसी स्त्रियों को कुल्टा कहता है.