चाणक्य नीति के 14वें अध्याय के 17 वें श्लोक में आचार्य चाणक्य ने किसी भी व्यक्ति को अपने निजी जीवन को सबसे शेयर नहीं करना चाहिए. इस श्लोक में चाणक्य ने स्पष्ट किया है कि धर्म, मैथुन, गल्तियों एवं कमियों आदि के बारे में बाहर के किसी भी व्यक्ति से शेयर करने से बचना चाहिए. आइये देखें इस श्लोक में क्या कहना चाहा है आचार्य चाणक्य ने...
सुसिद्धमौषधं धर्म गृहछिद्रं च मैथुनम्।
कुभुक्तं कुश्रुतं चैव मतिमान्न प्रकाशयेत्। ॥17॥
अर्थात बुद्धिमान व्यक्ति सिद्ध औषधि, धर्म, अपने घर की कमियां, मैथुन, गलती से खाया खराब भोजन तथा सुनी हुई बुरी बातों को किसी से नहीं बताएं, उसे अपने तक गुप्त रखें. यह भी पढ़ें : Chanakya Niti: चाणक्य की वे 6 बातें, जो किसी को भी विवाद एवं धन-हानि से बचा सकता है!
अपनी इस नीति के तहत आचार्य का कहना है कि हर व्यक्ति के जीवन में कुछ महत्वपूर्ण बातें हैं, जिसे बाहर के किसी भी व्यक्ति को नहीं बताना चाहिए. इनमें प्रमुख हैं, लाभदायक औषधि, धर्म, घर की कमियां, सम्भोग अथवा हस्तमैथुन, कुभोजन एवं सुनी हुई बुरी बात. ध्यान रहे कुछ दवाएं व्यक्ति विशेष को बहुत लाभ पहुंचाती हैं. इस वजह से वे दूसरों का भला करने के इरादे से अमुक दवा के बारे में बता देते हैं. यह उचित नहीं है, आचार्य के अनुसार ऐसी दवा के बारे में किसी को बताने से उस दवा का असर कम हो जाता है, अथवा समाप्त हो जाता है. अपने धर्म या कर्त्तव्य के बारे में भी किसी को कुछ भी बताने से बचना चाहिए. अलबत्ता स्वयं उसका शिद्दत से पालन करते रहना चाहिए, इससे भी अमुक धर्म से मिलनेवाले पुण्य में कमी अथवा अप्रभावी हो सकती हैं. इसी तरह अपने घर की कमियां, दोष अथवा घर के किसी सदस्य की बुरी बातें दूसरे से नहीं बताना चाहिए, इससे खुद की बदनामी होती है. इसके अलावा मैथुन अथवा सम्भोग के बारे में भी कुछ बताना असभ्यता एवं अश्लीलता है, क्योंकि यह कार्य एकांत में गुप्त रूप से करने के हैं. इसके अलावा अगर गलती से भी आपने कुछ ऐसी चीजें खा ली है, जिसकी इजाजत धर्म नहीं देता है, तो इसे किसी को न बताएं. यदि किसी ने कोई गलत बात कह दी है तो इस बात को हजम कर जाना चाहिए, किसी को कुछ भी नहीं बताना चाहिए.