Rabbit Fever: अमेरिका में हाल ही में रैबिट फीवर (Rabbit Fever) या ट्यूलरेमिया (Tularemia) नामक बीमारी के मामलों में 56 फीसदी की वृद्धि देखी गई है. यह दुर्लभ बीमारी इंसानों और जानवरों को प्रभावित करती है और खतरनाक बैक्टीरिया फ्रांसिसेला ट्यूलरेन्सिस (Francisella tularensis) के कारण होती है. इसे "टियर 1 सेलेक्ट एजेंट" की कैटेगरी में रखा गया है. इस कैटेगरी में रखने का मतलब यह बेहद खतरनाक है जिससे बहुत ज्यादा खतरा है.
भारत में HMPV का कोई मामला नहीं, चीन में नए वायरस की पहचान के बाद स्वास्थ्य विभाग सतर्क.
यह बहुत ही रेयर डिजीज है. आमतौर पर यह 5 से 9 साल के बच्चों को हो रहा है या फिर बुजुर्गों को हो रहा है. आइए, इस बीमारी के बारे में विस्तार से जानते हैं.
रैबिट फीवर क्या है?
रैबिट फीवर बेहद खतरनाक बैक्टीरिया से फैलता है. जो मुख्य रूप से जंगली खरगोश, चूहे और अन्य छोटे स्तनधारियों में पाया जाता है. यह इंसानों में कई तरीकों से फैल सकता है. जैसे टिक या हिरण मक्खी के काटने से, दूषित पानी पीने या संक्रमित भोजन के सेवन से, संक्रमित जानवरों के संपर्क या उनके मांस के सेवन से, संक्रमित धूल या एरोसोल्स को सांस के माध्यम से लेने से.
रैबिट फीवर के लक्षण
रैबिट फीवर के लक्षण इस पर निर्भर करते हैं कि बैक्टीरिया ने शरीर में प्रवेश कैसे किया है. इसके प्रमुख लक्षणों में शामिल हैं:
1. त्वचा पर घाव और सूजन
यदि बैक्टीरिया त्वचा के माध्यम से प्रवेश करता है, तो उस स्थान पर घाव बन सकता है.
घाव के साथ-साथ पास के लिम्फ नोड्स (जैसे कांख या कमर) में सूजन हो सकती है.
इसे उल्सरोग्लैंडुलर ट्यूलरेमिया कहते हैं.
2. आंखों में जलन और सूजन
यदि बैक्टीरिया आंखों के संपर्क में आता है, तो ऑकुलोग्लैंडुलर ट्यूलरेमिया हो सकता है.
लक्षणों में आंखों में जलन, सूजन, और कान के सामने लिम्फ ग्रंथियों का सूजन शामिल है.
3. गले में खराश और मुंह में घाव
बैक्टीरिया मुंह या गले से प्रवेश करता है, तो ओरोफैरेन्जियल ट्यूलरेमिया हो सकता है.
इसके लक्षणों में गले में खराश, मुंह में घाव, और गर्दन में लिम्फ ग्रंथियों की सूजन शामिल है.
4. सांस लेने में कठिनाई
बैक्टीरिया वाले धूल या एरोसोल्स को सांस में लेने से फेफड़ों में संक्रमण हो सकता है.
लक्षण: खांसी, सीने में दर्द, और सांस लेने में कठिनाई. यह संक्रमण का सबसे गंभीर रूप है.
संक्रमण से कैसे बचें?
1. टिक और मक्खियों से बचाव: हमेशा लंबे कपड़े पहनें और शरीर को पूरी तरह से ढकें.
टिक हटाने के लिए बारीक चिमटी का उपयोग करें. मक्खियों के काटने से बचने के लिए रिपेलेंट्स का इस्तेमाल करें.
2. दूषित पानी और भोजन से बचाव: हमेशा साफ पानी ही पीएं. मांस को हमेशा अच्छी तरह से पकाकर खाएं.
3. जानवरों से संपर्क में सावधानील खरगोश या अन्य जंगली जानवरों को संभालते समय दस्ताने पहनें. घास काटने या कृषि गतिविधियों के दौरान मास्क पहनें.
इलाज और वैक्सीनेशन
फिलहाल ट्यूलरेमिया के लिए कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है. यह बीमारी एंटीबायोटिक्स से ठीक हो सकती है, लेकिन समय पर इलाज न होने पर यह गंभीर हो सकती है. मृत्यु दर सामान्यतः 2% से कम है, लेकिन गंभीर मामलों में यह 24% तक हो सकती है.