आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति शास्त्र में मानव जीवन से जुड़े तमाम पहलुओं धन, तरक्की, व्यवसाय, मित्रता, दुश्मनी और वैवाहिक जीवन आदि के बारे में वर्णन किया है. चाणक्य नीति के बारे में आम धारणा यह है कि उनके नीतिगत उपदेशों को जीवन में उतारना आसान नहीं होता, लेकिन जिसने उस पर अमल कर लिया, उसका जीवन आसान हो जाता है. निम्नांकित श्लोक के माध्यम से आचार्य ने बताया है कि कुछ ऐसे लोगों का जिक्र किया है, जिन्हें पैरों से छूना नितांत गलत है. ये गलती आपको जीवन भर के लिए नर्क में धकेल सकती है. जानें किन पांच लोगों की बात कही है आचार्य ने...
पादाभ्यां न स्पृशेदग्निं गुरु ब्राह्मणमेव च।
नैव गावं कुमारी च न वृद्ध न शिशुं तथा ॥7
अर्थात आग, गुरु, ब्राह्मण, गाय, कुंआरी कन्या, वृद्धों एवं बच्चों को पांव से नहीं छूना चाहिए. यह असभ्यता या अनादर ही नहीं, बल्कि मूर्खता भी है, क्योंकि ये सभी परम आदरणीय, पूज्य, और प्रिय होते हैं.
आचार्य चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र के 7वें श्लोक में बताना चाहा है कि ऐसी 7 प्रकार की चीजों या व्यक्ति को गलती से भी पैरों से स्पर्श नहीं करना चाहिए. यह दुष्कृत्य करने वालों के जीवन को बर्बाद होने से कोई नहीं रोक सकता. आचार्य ने इस श्लोक में बताया है कि अग्नि, गाय, गुरु, ब्राह्मण, कुंवारी कन्या, वृद्धजन अथवा शिशु को किसी भी सूरत में पैर से नहीं छूना चाहिए. चाणक्य के अनुसार ऐसा करना या होना असभ्यता है, क्योंकि हिंदू धर्म शास्त्रों में अग्नि को देवता माना गया है, और देवता को पैरों से स्पर्श करना महान पाप माना जायेगा, साथ ही आपका पैर भी जल सकता है, इसके अलावा बहुत सारे कार्य अग्नि को साक्षी मानकर भी किये जाते हैं, इसलिए उसे पैरों से नहीं छुना चाहिए.
चाणक्य आगे कहते हैं कि गुरु, ब्राह्मण और वृद्ध हमारे जीवन के सबसे सम्मानित एवं पूज्यनीय लोग होते हैं, इसलिए उन्हें किसी भी हालात में पैरों से स्पर्श नहीं होने देना चाहिए. इसी तरह कुंवारी कन्या और छोटे शिशु हमारे लिए ईश्वर तुल्य होते हैं, इसलिए उन्हे पैरों से छूने से बचना चाहिए. अंतिम और अहम कड़ी है गाय. सनातन धर्म में गाय को माता माना जाता है, जबकि वेदों में उल्लेखित है कि गाय में देवताओं का वास होता है, ऐसे में माना जाता है कि जो मनुष्य गाय को मारता है, या परेशान करता है, उसे पाप का भागी बनना पड़ता है. वह नष्ट हो सकता है.