Chanakya Niti: चाणक्य के अनुसार मनुष्य की इन आदतों से लक्ष्मी नाराज होती हैं, उसके घर पर बनी रहती है दरिद्रता!
Chanakya Niti (img: file photo)

Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य सामाजिक और राजनीतिक के साथ-साथ सांस्कृतिक विषयों पर भी गहरी जानकारी रखते थे. उन्होंने हर मुद्दे से जुड़ी जानकारियों को अपनी नीति में संग्रहित किया है. कहते हैं कि प्राचीनकाल में कोई व्यक्ति या परिस्थिति ऐसी नहीं थीजिस पर चाणक्य विजय प्राप्त नहीं कर सकते थे.

कहते हैं कि आचार्य चाणक्य का दिमान इतना तेज था कि वे जटिल-से-जटिल समस्या का समाधान चुटकी बजाते निकाल लेते थे. यहां हम आचार्य चाणक्य की आर्थिक नीति से संबंधित एक श्लोक के बारे में चर्चा करेंगे कि कैसे एक व्यक्ति की आदत उसे दरिद्रता की खाई में भी धकेल सकती है. ये भी पढ़े:Chanakya Niti: इन 7 लोगों को पैर से स्पर्श कर जीवन को नर्क न बनाएं! जानें चाणक्य की इस नीति का आशय!

कुचैलिनं दन्तमलोपधारिणं बह्वाशिनं निष्ठुरभाषिणं च।

सूर्योदये वाऽस्तमिते शयानं विमुञ्चति श्रीर्यदि चक्रपाणिः

अर्थात

 इस श्लोक के ज़रिए चाणक्य बताना चाहते हैं कि मनुष्य की कुछ आदतें, मसलन गंदे कपड़े पहनना, दांतों की सफाई न करना, जरूरत से ज्यादा खाना, आलस्य करना, कठोर वचन बोलना, सूर्यास्त एवं सूर्योदय के समय सोना जैसी आदतें उसे लक्ष्मी से लगातार दूर करती हैं. वह सदा दरिद्रता में घिरा रहता है.   

आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों में बताया है कि जिस घर में हमेशा लड़ाई- झगड़े होते रहते हैंवहां कभी भी मां लक्ष्मी का वास नहीं होता. जिस घर के सदस्य अक्सर आपस में लड़ाई-झगड़ाएक दूसरे पर बेवजह चिल्लाना जैसी चीजों में व्यस्त रहते हैंवहां अक्सर कंगाली और दुख-दरिद्रता के बादल छाए रहते हैं.

सर्वविदित है कि जिस घर में साफ-सफाई नहीं होती, वहां मां लक्ष्मी का वास नहीं होता. आचार्य के अनुसार माता लक्ष्मी को साफ-सफाई पसंद है. ऐसे में अगर आप भी मां लक्ष्मी को आमंत्रित करना चाहते हैं तो साफ-सफाई का ध्यान जरूर रखें.

आचार्य चाणक्य के अनुसार जिन लोगों की रसोई में अक्सर झूठे बर्तनों का ढेर बना रहता हैउनके घर भी कंगाली और दरिद्रता बनी रहती है, क्योंकि मान्यता है कि गंदी जगह, झूठे बर्तनों के ढेर वाली जगह से मां अन्नपूर्णा नाराज होती हैं, जिसके कारण उसके घर में हमेशा पैसों की कमी बनी रहती है. आचार्य ने आगे यह भी कहा है कि जिस घर में महिलाओंबुजुर्गों और विद्वानों का आदर नहीं किया जातावहां भी हमेशा कंगाली के बादल छाए रहते हैं.