फूड डिलीवरी के लिए इस्तेमाल होने वाले ब्लैक प्लास्टिक कंटेनर से हो सकता है कैंसर? जानें का कहते हैं एक्सपर्ट्स
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आजकल फूड पैकेजिंग में इस्तेमाल होने वाले काले प्लास्टिक कंटेनरों (Black Plastic Container) को लेकर सोशल मीडिया पर बड़ी बहस छिड़ी हुई है. खासकर फूड डिलीवरी बॉक्स और माइक्रोवेव में उपयोग किए जाने वाले काले प्लास्टिक के डिब्बों को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं. कहा जा रहा है कि इन कंटेनरों में मौजूद केमिकल गर्म, ऑयली या एसिडिक फूड के संपर्क में आने पर खाने में मिल सकते हैं और स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकते हैं. हाल ही में एक वायरल वीडियो में एक सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर ने लोगों को इन कंटेनरों का उपयोग न करने की चेतावनी दी थी, जिसके बाद यह मुद्दा फिर चर्चा में आ गया.

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लेकिन क्या वाकई ब्लैक प्लास्टिक के डिब्बे कैंसर का कारण बन सकते हैं? जानें इस बारे में विशेषज्ञ क्या कहते हैं. एक्स्पर्ट्स के जवाब आपको चौंका सकते हैं.

क्या ब्लैक प्लास्टिक से कैंसर हो सकता है?

विशेषज्ञों के अनुसार, भले ही कोई प्रत्यक्ष अध्ययन इस दावे की पुष्टि नहीं करता हो, लेकिन ब्लैक प्लास्टिक में मौजूद कुछ केमिकल कार्सिनोजेनिक (कैंसर पैदा करने वाले) हो सकते हैं. जैसे कार्बन ब्लैक, जो इन कंटेनरों को काला बनाने के लिए उपयोग किया जाता है, एक कैंसरजनित पदार्थ है. कई प्लास्टिक रसायन हार्मोनल असंतुलन (Endocrine Disruptors) का कारण बन सकते हैं, जिससे PCOD, थायरॉयड और प्रोस्टेट कैंसर जैसी बीमारियां हो सकती हैं. इसके अलावा माइक्रोप्लास्टिक्स भोजन में मिल सकते हैं, जो दिल की बीमारी और कैंसर तक का खतरा बढ़ा सकते हैं.

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कैसे बढ़ता है कैंसर का खतरा?

प्लास्टिक के कुछ रसायन शरीर में हार्मोनल गड़बड़ी पैदा कर सकते हैं. खासतौर पर ब्लैक प्लास्टिक से निकलने वाले केमिकल्स ब्रेस्ट कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर और थायरॉयड संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ा सकते हैं.

ब्लैक प्लास्टिक के संपर्क में आने से खाने में हानिकारक केमिकल्स घुल सकते हैं, खासतौर पर जब भोजन गर्म हो. ऐसे डब्बों में गर्म खाना रखने से माइक्रोप्लास्टिक्स शरीर में प्रवेश कर सकते हैं, जिससे कैंसर, हार्ट डिजीज और न्यूरोलॉजिकल समस्याएं हो सकती हैं. इसके साथ ही बच्चों के दिमागी विकास पर असर पड़ सकता है, जिससे उनकी IQ कम हो सकती है और न्यूरोलॉजिकल गड़बड़ियां हो सकती हैं.

क्या ब्लैक प्लास्टिक कंटेनरों का इस्तेमाल बंद कर देना चाहिए?

डॉ. कंचन कौर, वरिष्ठ निदेशक, कैंसर विशेषज्ञ (मेदांता, गुरुग्राम) का कहना है कि न सिर्फ ब्लैक प्लास्टिक, बल्कि किसी भी प्रकार के प्लास्टिक में खाना स्टोर करने या गर्म करने से बचना चाहिए.

हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि गर्म खाना प्लास्टिक से रसायनों को अवशोषित कर सकता है. माइक्रोवेव में प्लास्टिक कंटेनर का उपयोग नहीं करना चाहिए. इसके अलावा फ्रिज में प्लास्टिक बॉक्स में भोजन स्टोर करने से बचें.

बेहतर विकल्प क्या है?

अगर आप प्लास्टिक से बचना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए विकल्पों का उपयोग कर सकते हैं. स्टील और ग्लास के बर्तन यह सबसे सुरक्षित हैं. अन्य विकल्पं में मिट्टी के बर्तन भी हैं, लेकिन यह सुनिश्चित करें कि उनमें लेड या केमिकल पेंट न हो.

ब्लैक प्लास्टिक से बचने के लिए क्या करें?

बाजार से लाए गए खाने को तुरंत स्टील या ग्लास के बर्तनों में ट्रांसफर करें. प्लास्टिक में स्टोर किया गया खाना दोबारा गर्म न करें. प्लास्टिक की बोतलों और कंटेनरों का अधिक उपयोग न करें. पारंपरिक भारतीय तरीकों को अपनाएं स्टील के बर्तन अच्छा विल्कप हैं.

क्या वाकई ब्लैक प्लास्टिक कैंसर का कारण बन सकता है?

अब तक कोई ठोस अध्ययन यह साबित नहीं कर पाया है कि ब्लैक प्लास्टिक से सीधा कैंसर हो सकता है, लेकिन इसमें मौजूद हानिकारक केमिकल्स और माइक्रोप्लास्टिक्स निश्चित रूप से स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकते हैं. याद रखें कि जितनी ज्यादा ब्लैक प्लास्टिक से आपकी एक्सपोजर होगी, उतना ही ज्यादा आपका जोखिम बढ़ेगा. इसलिए, सुरक्षित और स्वस्थ जीवन के लिए प्लास्टिक के उपयोग को कम करें और प्राकृतिक विकल्पों को अपनाएं.