साइक्लिंग ट्रेनिंग में कार्बन मोनोऑक्साइड का इस्तेमाल: विज्ञान, विवाद और बैन
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

अपनी परफॉर्मेंस सुधारने के लिए साइक्लिंग के खिलाड़ी कार्बन मोनोऑक्साइड सूंघते हैं. इसे लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है. अब यूसीआई ने इस पर प्रतिबंध लगा दिया है.साइक्लिंग एक बहुत ही मुश्किल खेल है, जहां एथलीट्स को अपनी ऑक्सीजन क्षमता को बेहतर बनाना होता है. इसे बेहतर बनाने के लिए कुछ प्रोफेशनल टीमों ने कार्बन मोनोऑक्साइड गैस के कम मात्रा में सेवन का सहारा लिया है. इसका मकसद हीमोग्लोबिन के स्तर को प्रभावित कर प्रदर्शन में सुधार करना था.

लेकिन इस तकनीक को लेकर विवाद बढ़ने लगा. सेहत के लिए जोखिम और नैतिकता पर सवाल उठने लगे. इसी के चलते इंटरनेशनल साइक्लिंग यूनियन (यूसीआई) ने इसे मेडिकल सुविधाओं के बाहर पूरी तरह बैन कर दिया है.

ट्रेनिंग में कार्बन मोनोऑक्साइड का विज्ञान

कार्बन मोनोऑक्साइड एक जहरीली, रंगहीन और गंधहीन गैस है. यह खून में हीमोग्लोबिन से जुड़कर कार्बोक्सीहीमोग्लोबिन बनाती है. इससे खून की ऑक्सीजन ढोने की क्षमता घट जाती है. इससे शरीर ऊंचाई पर जाने जैसा महसूस करता है और धीरे-धीरे अधिक हीमोग्लोबिन बनाने लगता है.

2019 में ‘फ्रंटियर्स इन फिजियोलॉजी' पत्रिका में प्रकाशित एक स्टडी में पाया गया कि चार हफ्ते तक कम मात्रा में कार्बन मोनोऑक्साइड सूंघने से कुल हीमोग्लोबिन मास और रनिंग एफिशिएंसी यानी दौड़ने की क्षमता में सुधार हुआ. स्टडी के अनुसार, "कम मात्रा में कार्बन मोनोऑक्साइड लेने से उन खिलाड़ियों को फायदा हो सकता है, जिन्हें ज्यादा दम की जरूरत होती है.”

लेकिन इस गैस के खतरे भी गंभीर हैं. ज्यादा मात्रा में यह घातक हो सकती है. हल्की मात्रा भी लंबे समय तक लेने से सिरदर्द, मतली, चक्कर और दिल से जुड़ी गंभीर समस्याएं पैदा कर सकती है. कार्बन मोनोऑक्साइड के कारण दुनियाभर में कई जगह जानें जा चुकी हैं.

विवाद और नैतिक चिंताएं

सबसे मुश्किल साइकल रेस टुअर डे फ्रांस के दौरान 2024 में ‘एस्केप कलेक्टिव' की एक रिपोर्ट ने यह खुलासा किया कि कई टीमें कार्बन मोनोऑक्साइड रिब्रीदर डिवाइस का इस्तेमाल कर रही थीं. यह उपकरण खिलाड़ियों को ऑक्सीजन को बेहतर तरीके से उपयोग करने में मदद करता था.

इसके बाद, वर्ल्ड एंटी-डोपिंग एजेंसी (डब्ल्यूएडीए) ने नवंबर 2024 में इस मुद्दे की जांच शुरू की. संगठन ने कहा कि वह बार-बार कार्बन मोनोऑक्साइड सूंघने के प्रभावों का विश्लेषण करेगा. इस गैस को अभी तक परफॉर्मेंस बढ़ाने वाले ड्रग्स की लिस्ट में नहीं रखा गया था, लेकिन यह हीमोग्लोबिन को प्रभावित करती है. इसलिए इसे प्रतिबंधित करने पर चर्चा शुरू हुई.

2024 में ‘जर्नल ऑफ अप्लाइड फिजियोलॉजी' पत्रिका में प्रकाशित एक लेख में कार्बन मोनोऑक्साइड के खतरों को लेकर चेतावनी दी गई. इसमें कहा गया, "कम मात्रा में भी कार्बन मोनोऑक्साइड लेने से सिरदर्द, सुस्ती, मतली, चक्कर आना और भ्रम जैसी समस्याएं हो सकती हैं, जो समय के साथ बढ़ सकती हैं."

यूसीई का प्रतिबंध

इसी महीने, 2 फरवरी 2025 को, अंतरराष्ट्रीय साइक्लिंग यूनियन ने कार्बन मोनोऑक्साइड गैस इनहेल करने पर बैन लगाने की घोषणा कर दी. नया नियम 10 फरवरी से लागू होगा.

एक बयान में यूसीआई ने कहा, "अब मेडिकल सुविधाओं के बाहर, कार्बन मोनोऑक्साइड रिब्रीदिंग सिस्टम या ऑक्सीजन-कार्बनमोनोऑक्साइड सिलिंडर का उपयोग पूरी तरह से प्रतिबंधित होगा."

यह प्रतिबंध सभी खिलाड़ियों, टीमों, कोच और सपोर्ट स्टाफ पर लागू होगा. हालांकि, मेडिकल सुविधाओं में डॉक्टर की देखरेख में इस गैस का उपयोग किया जा सकता है.

यूसीआई के अध्यक्ष डेविड लापार्टिएं ने कहा, "हम खिलाड़ियों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हैं. कार्बन मोनोऑक्साइड इनहेलेशन पर बैन लगाना एक जरूरी कदम था."

अब जब यूसीआई ने इसे बैन कर दिया है और वाडा इसकी जांच कर रही है, तो यह साफ नहीं है कि साइक्लिंग के खेल में इस गैस का भविष्य क्या होगा. कुछ लोगों का मानना है कि अगर इसे विशेषज्ञों की निगरानी में इस्तेमाल किया जाए तो यह हीमोग्लोबिन रेस्पॉन्स को समझने और ट्रेनिंग सुधारने में मदद कर सकता है.

लेकिन इसके खतरों को देखते हुए, इसे व्यापक स्तर पर मान्यता मिलना मुश्किल है. वैज्ञानिक इस विषय पर शोध कर रहे हैं ताकि यह देखा जा सके कि क्या इसे सुरक्षित तरीके से इस्तेमाल किया जा सकता है.