Chhath Puja 2019: छठ पूजा पर कोसी भरने की है परंपरा, इससे पूरी होती है व्रती की हर मनोकामना, वीडियो में देखें इसकी विधि
छठ पूजा 2019 कोसी भरने की विधि (Photo Credits: YouTube)

Chhath Puja 2019: आस्था और विश्वास के महापर्व छठ पूजा (Chhath Puja) की धूम पूरे देश में मची हुई है. वैसे तो चार दिवसीय छठ पर्व (Chhath Puja 2019) की शुरुआत 31 अक्टूबर 2019 से हो गई है, लेकिन इस पर्व का मुख्य व्रत 2 और 3 नवंबर 2019 को मनाया जा रहा है. 2 नवंबर (शनिवार) की शाम व्रती डूबते हुए सूर्य (Surya Bhagwan) को अर्घ्य देंगे और उसकी अगली सुबह यानी 3 नवंबर (रविवार) को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के बाद इस महापर्व का समापन होगा. खासतौर पर उत्तर भारत के पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ और नेपाल के तराई वाले क्षेत्रों में इस पर्व को बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. सूर्य देव (Surya Dev) और छठी मईया (Chhath Maiya) की उपासना के इस महापर्व में व्रती 36 घंटे से ज्यादा समय तक निर्जल व्रत करते हैं और इस व्रत से जुड़े सभी नियमों का पालन करते हैं. संतान, सुख-समृद्धि, सौभाग्य और आरोग्य प्राप्ति के लिए यह व्रत किया जाता है.

हालांकि छठ पूजा में कोसी भरने की भी परंपरा निभाई जाती है. खासकर जोड़े में कोसी भरने को बेहद शुभ माना जाता है. मान्यता है कि अगर कोई व्यक्ति मन्नत मांगता है और वह पूरी होती है तो उसे कोसी भरना पड़ता है. सूर्य षष्ठी की संध्या यानी शाम के समय सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद घर के आंगन या छत पर कोसी पूजन किया जाता है.

कोसी भरने की विधि

माना जाता है कि छठ पूजा में कोसी भरने से सौभाग्य बढ़ता है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. अगर आप भी इस छठ पूजा में कोसी भरने की योजना बना रहे हैं तो आपको इस परंपरा और इससे जुड़ी विधि के बारे में जानकारी अवश्य होनी चाहिए. मान्यता है कि छठ पूजा का व्रत करने वाले किसी दंपत्ति की अगर कोई मन्नत या मनोकामना पूरी हो जाती है तो इसकी खुशी में वो कोसी भरते हैं. षष्ठी तिथि के दिन संध्या के समय सूर्य को अर्घ्य देने के बाद घर में या छत पर कोसी भरने की परंपरा निभाई जाती है. इसके लिए कम से कम चार या सात गन्ने की मदद से एक छत्र बनाया जाता है. एक लाल कपड़े में ठेकुआ, फलों का अर्कपात, केराव रखकर गन्ने की छत्र से बांधा जाता है. फिर छत्र के भीतर मिट्टी से बना हाथी रखा जाता है और उसके ऊपर घड़ा रखा जाता है.

मिट्टी के हाथी को सिंदूर लगाकर उस घड़े में मौसमी फल, ठेकुआ, अदरक, सुथनी जैसी अन्य सामग्रियां रखी जाती हैं. कोसी पर दीया जलाया जाता है और फिर कोसी के चारों ओर अर्घ्य की सामग्री से भरे सूप, डलिया, तांबे के पात्र और मिट्टी के ढक्कन को रखकर दीप प्रज्जवलित किया जाता है. इसके बाद अग्नि में धूप डालकर हवन किया जाता है और छठी मईया के सामने माथा टेककर उनसे आशीर्वाद मांगा जाता है. फिर अगली सुबह यही प्रक्रिया नदी के घाट पर दोहराई जाती है. महिलाएं अपनी मन्नत पूरी होने की खुशी में गीत गाती हैं और छठी मईया का आभार व्यक्त करती हैं. यह भी पढ़ें: Chhath Puja 2019: छठ पूजा में पानी में खड़े होकर क्यों दिया जाता है सूर्य देव को अर्घ्य, जानिए छठी मईया की उपसना से भक्तों को मिलता है कौन सा आशीर्वाद

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गौरतलब है कि छठी मईया की आराधना और सूर्य देव की उपासना के इस महापर्व को देश के कई हिस्सों में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. व्रती 36 घंटे तक निर्जल व्रत करके किसी पवित्र नदी या तालाब के पानी में खड़े होकर सूर्य देव को अर्घ्य प्रदान करते हैं. कहा जाता है कि छठी मईया भगवान सूर्य की बहन हैं, इसलिए इस दिन सूर्य देव को अर्घ्य प्रदान करने से सूर्य देव और छठी मईया दोनों का आशीर्वाद प्राप्त होता है.