भारत में आदिकाल से पारिवारिक रिश्तों की विशेष अहमियत रही है. हमारे तीज-त्योहार भी इन रिश्तों को सींचने का कार्य करते हैं. भाई-बहन के पवित्र रिश्तों को दर्शाने वाले रक्षा बंधन और भाई दूज का पर्व इसी के सामान्य उदाहरण है. हम यहां बात करेंगे भाई दूज पर्व के बारे में. भाई दूज का त्योहार भारतीय धर्म के अनुसार भाई यम और बहन यमुना के स्नेहिल संबंधों को रेखांकित करता है, चूंकि हमारा देश विभिन्न क्षेत्रीय, भाषाओं, संस्कृतियों पर निर्भर है, लिहाजा हमारे पर्व विभिन्न परम्पराओं के अनुरूप होते हैं, कुछ सामान्य तो कुछ चौंकाने वाले होते हैं. हिंदी पंचांग के अनुसार 14 नवंबर को 02.36 PM से शुरू होकर 5 नवंबर 2023 को 01.47 PM तक भाई दूज मनाया जा सकता है. आइये जानते हैं, भाई दूज पर्व की इन्हीं रोचक परंपराओं के बारे में...
पश्चिम बंगाल में भाई फोंटा
पश्चिम बंगाल में इस पर्व को भाई फोंटा के नाम से पुकारा जाता है. इस पर्व के दिन बहनें फोंटा का रस्म पूरा होने तक व्रत रखती हैं. बहन अपने भाई की सुरक्षा स्वरूप चंदन, काजल और शुद्ध घी से बना तिलक लगाती हैं. इसके बाद भाई-बहन के साथ परिवार के सभी लोग सामूहिक भोजन करते हैं.
बहनें दागती हैं अपनी जुबान!
उत्तर प्रदेश के कुछ अंचलों में भाई दूज के अवसर पर बहनें जलते दीप की बत्ती को अपनी जुबान से बुझाती हैं, इस तरह वह अपनी जुबान को दागती हैं. इसके पीछे मान्यता है कि ऐसा करके वह भाई पर लगे सारे दोषों को मिटाती है.
महाराष्ट्र में भाऊ बीज
महाराष्ट्र में भाई दूज को भाऊ बीज के नाम से जाना जाता है. भाऊ बीज के दिन बहन अपने घर पर एक चौकोर रेखा बनाती है, और स्वयं करिथ नामक अत्यंत कड़वे फल का सेवन करती है. इसके पश्चात चौकोर रेखा पर भाई को बिठाकर उसके माथे पर रोली और अक्षत का तिलक लगाती हैं, और आरती उतारती हैं. भाई के कल्याण के लिए प्रार्थना करती हैं.
जीभ में कांटे चुभाती हैं बहने
छत्तीसगढ़, झारखंड और बिहार तथा उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में भाई दूज पर्व पर यह परंपरा निभाई जाती है. भाई दूज के दिन बहनें अपने भाइयों को मरने का श्राप देती हैं, इसके बाद वह स्वयं को सजा देते हुए अपनी जुबान पर कांटा चुभा कर माफी मांगती हैं. इसके बाद बहन भाई को तिलक लगाकर लड्डू खिलाती है, और बदले में भाई बहन को उपहार देकर आशीर्वाद देता है.