हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक कृष्णपक्ष की अष्टमी के दिन माताएं अपने पुत्र की सेहत और दीर्घायु के लिए अहोई अष्टमी का व्रत रखती हैं. मान्यता है कि इस दिन अहोई माता, जिन्हें माता पार्वती का ही स्वरूप माना जाता है, की शास्त्रों के अनुसार पूजा करने से निसंतान को संतान की प्राप्ति होती है. किसी भी माता के लिए संतान की चाहत और संतान की सुरक्षा, सेहत और दीर्घायु के लिए यह व्रत बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है.
अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस वर्ष 8 नवंबर 2020 को अहोई अष्टमी मनायी जायेगी. यह निर्जल व्रत है और संतान को सुरक्षा कवच प्रदान करता है, लेकिन कुछ ऐसी भी बातें हैं, जिन्हें भूल कर भी नहीं करना चाहिए, वरना संतानी के लिए बेहद कष्टकारी साबित हो सकता है. आइये जानें किन बातों को नजरंदाज करना चाहिए
* किसी भी देवी-देवता की पूजा करने से पूर्व गणेश जी की पूजा अर्चना करना आवश्यक होता है. अहोई मैया की पूजा से पूर्व भी श्रीगणेश जी की पूजा अवश्य कर लें, वरना व्रत एवं पूजन का सुफल नहीं प्राप्त होगा. संतान को कष्ट होगा सो अलग.
* अहोई अष्टमी के व्रत की तैयारी भी कर रही हैं तो इससे पूर्व स्नान अवश्य कर लें. अहोई मैया की पूजा-अर्चना करते समय काले, नीले या ग्रे कलर का वस्त्र धारण न करें.
* इस दिन मिट्टी को हाथों से स्पर्श नहीं करें ना ही किसी खुरपी इत्यादि से कोई पेड़ या पौधा उखाड़ें.
* अहोई मैया की पूजा अर्चना करते समय घर के बच्चों को अपने पास अवश्य बैठायें, माता की चरणों में चढ़े फूल को बच्चों से स्पर्श करायें और पूजा के पश्चात उन्हें प्रसाद अवश्य दें.
* माता अहोई की पूजा में बासी फूल, बासी मिठाई अथवा इस्तेमाल कर चुके सुपारी, घी, इत्यादि का हरगिज इस्तेमाल नहीं करें. माता रुष्ट हो सकती हैं.
* अहोई माता के पूजा में चांद और सितारों को अर्घ्य देने का भी विधान है, लेकिन भूलकर भी तांबे के लोटे से अर्घ्य न दें
* व्रत के दौरान किसी भी जीव-जंतु इत्यादि को नुकसान न पहुंचाएं ना ही हरे वृक्षों को तोड़े. क्योंकि माता अहोई को प्रकृति से बहुत प्यार है.
* इस दिन भोजन बनाते वक्त लहसुन, प्याज, मिट्टी के प्रयोग किये जा चुके करवा, दीया आदि का इस्तेमाल हरगिज नहीं करें. ये बातें आपके व्रत के बुरे परिणाम भी दे सकते हैं. आपकी संतान के लिए कष्टकारी हो सकता है.
* अगर आप व्रत हैं तो दिन के समय सोने से बचें, ऐसा करने से बच्चे की सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है.
* इस दिन घर में किसी भी तरह का वाद-विवाद अथवा क्लेश नहीं करें. इससे माता अहोई नाराज हो सकती हैं, और आपकी मनोकामना भी पूरी नहीं होगी.
* घर आये किसी भी भिक्षुक अथवा गरीब को किसी भी तरह की मदद कर अपनी संतान के दीर्घायु होने का आशीर्वाद प्राप्त करें. उसका किसी भी कीमत पर अपमान नहीं करें.
* अहोई अष्टमी के व्रत में कथा के दौरान सात तरह का अनाज अपने हाथों पर रखें, लेकिन उसे फेंके हरगिज नहीं. बेहतर होगा उसे गाय को खिला दें.