दुनिया में पानी की कमी होने पर वायरस के प्रसार का खतरा अधिक
पानी Credits: Video Screengrab/ @susantananda3/ Twitter)

नई दिल्ली: उसके मुताबिक ब्राजील की स्वदेशी आबादी से लेकर उत्तरी यमन में युद्ध ग्रस्त गांव तक लेकर करीब तीन अरब लोगों के पास घर में साफ पानी और साबुन से हाथ धोने का कोई विकल्प नहीं है. दुनिया भर की झुग्गी-झोपड़ियों, शिविरों और अन्य भीड़-भाड़ वाली बसावटों में कई लोग रोजाना पानी के टैंकर से पानी लेने के लिए एकत्र होते हैं जहां सामाजिक दूरी संबंधी नियम का पालन संभव नहीं है. घनी आबादी वाले स्थानों पर लोगों को पानी की जरूरत बर्तन धोने और शौचालय साफ करने जैसे “महत्त्वपूर्ण कार्यों” के लिए चाहिए होता है और उनके पास बार-बार हाथ धोने के लिए पानी के इस्तेमाल का विकल्प नहीं होता. यह भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर कोरोना वायरस संक्रमण के प्रसार को रोकने में आने वाली समस्याओं को रेखांकित करता है.

इसने कहा कि उसे डर है कि वैश्विक निधि का इस्तेमाल टीकों और इलाज में किया जा रहा है और “रोकथाम की वास्तविक प्रतिबद्धता नहीं दिखती है. यूनिसेफ की जल एवं स्वच्छता टीम के ग्रेगरी बिल्ट ने कहा कि निश्चित तौर पर बिना गहरी जांच के पानी की कमी को कोविड-19 से जोड़ना आसान नहीं है, “लेकिन हम यह जानते हैं, कि पानी के बिना, जोखिम बढ़ जाता है. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार अरब क्षेत्र में करीब 7.4 करोड़ लोगों के पास हाथ धोने की मूलभूत सुविधा नहीं है. सीरिया और यमन जैसे क्षेत्रों में युद्ध के चलते पानी की बुनियादी ढांचा काफी हद तक बर्बाद हो चुका हैं. यह भी पढ़ : कोरोना वायरस को लेकर आयुष मंत्रालय की सलाह, गर्म पानी के साथ ही हल्दी वाला दूध पीएं और योग करें

संघर्ष के कारण विस्थापित हुए लोगों के पास पानी का सुरक्षित स्रोत नहीं है. ब्राजील में एक गरीब स्वदेशी समुदाय को एक हफ्ते में बस तीन दिन गंदे कुएं से पानी मिल पाता है. एफ्रोबेरोमीटर अनुसंधान समूह के मुताबिक पूरे अफ्रीका में जहां वायरस के मामले 1,00,000 के करीब पहुंचने वाले हैं ,वहां द्वीप की आधे से ज्यादा आबादी को पानी लाने के लिए घरों से बाहर निकलना पड़ता है।

एपी

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