VIDEO: चेहरे पर सबसे ज्यादा बाल! दुर्लभ बीमारी से ग्रसित ललित पाटीदार ने बनाया गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड, जानें भारत के 'वेरवोल्फ' की कहानी

क्या आपने कभी ऐसे व्यक्ति के बारे में सुना है जो असली जीवन में 'वेरवोल्फ' जैसा दिखता हो? मध्य प्रदेश के 18 वर्षीय ललित पाटीदार ने हाल ही में गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज करवाकर दुनियाभर में सुर्खियां बटोरी हैं. उन्हें "सबसे अधिक रोएंदार चेहरे वाले व्यक्ति" का खिताब मिला है.

क्या है ललित पाटीदार की अनोखी कहानी?

ललित पाटीदार एक दुर्लभ स्थिति हाइपरट्राइकोसिस से पीड़ित हैं, जिसे आमतौर पर 'वेरवोल्फ सिंड्रोम' के नाम से जाना जाता है. इस दुर्लभ बीमारी के कारण उनके चेहरे पर अत्यधिक बाल उगते हैं. गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के अनुसार, उनके चेहरे पर प्रति वर्ग सेंटीमीटर 201.72 बाल हैं. यह स्थिति इतनी दुर्लभ है कि यह दुनिया में केवल एक अरब लोगों में से एक को ही होती है, और इतिहास में अब तक सिर्फ 50 मामले ही दर्ज किए गए हैं.

बचपन में लोगों के लिए अजीब, पर अब गर्व की बात

ललित ने बताया कि बचपन में उनके लुक्स की वजह से स्कूल के अन्य बच्चे उनसे डरते थे. लेकिन जब वे उनसे घुलने-मिलने लगे तो उन्हें एहसास हुआ कि ललित भी आम बच्चों की तरह ही हैं. ललित कहते हैं, "बचपन में लोग मुझे देखकर डरते थे, लेकिन जब उन्होंने मुझसे बातचीत की और मुझे जाना, तो समझ गए कि मैं अंदर से बाकी लोगों की तरह ही हूं. बस मेरा लुक थोड़ा अलग है."

हालांकि, आज भी कुछ लोग उन्हें सलाह देते हैं कि वे अपने चेहरे के बाल हटा लें, लेकिन ललित को अपनी अनोखी पहचान से कोई परेशानी नहीं है. उन्होंने कहा, "मैं लोगों की बातों पर ज्यादा ध्यान नहीं देता. मैं खुद को जैसा हूं, वैसा ही पसंद करता हूं और अपनी शक्ल नहीं बदलना चाहता."

गिनीज रिकॉर्ड में नाम दर्ज होने पर खुशी का इजहार

ललित अपनी अनोखी स्थिति को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए सोशल मीडिया और यूट्यूब पर अपने रोज़मर्रा के जीवन को साझा करते हैं. जब उन्हें गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में जगह मिलने की खबर मिली, तो वे बेहद खुश हुए. उन्होंने कहा, "मेरे पास शब्द नहीं हैं, मैं बहुत खुश हूं कि मुझे यह पहचान मिली."

ललित का हौसला और जज्बा सबके लिए प्रेरणा

ललित पाटीदार की यह अनोखी कहानी हमें सिखाती है कि किसी की असली पहचान उसका दिल और दिमाग होता है, न कि उसकी बाहरी शक्ल. उन्होंने अपने आत्मविश्वास और सकारात्मक सोच से यह साबित कर दिया कि हर व्यक्ति अपनी तरह से खास होता है. उनकी यह उपलब्धि न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा का स्रोत है.