नई दिल्ली: पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली (Arun Jaitley)अब इस दुनिया में नहीं है. लंबी बीमारी के चलते शनिवार को एस्म अस्पताल में उनका निधन हो गया. उनके निधन के बाद हर कोई उन्हें श्रद्धांजलि देने के साथ ही उनके शालीनता की तारीफ कर रहा है. लोग तारीफ क्यों ना करे क्योंकि उन्होंने लोगों के साथ कुछ ऐसा ही करके गए हैं. उनके बारे में जो मालूम पड़ा है उसके अनुसार जेटली अपने निजी स्टाफ के जीवन स्तर को ऊंचा उठाने के लिए कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाते थे. उन्होंने दिल्ली के चाणक्यपुरी स्थित उसी कार्मल कान्वेंट स्कूल में जहां उनके बच्चे पढ़े थे उसी स्कूल में ड्राइवर-रसोइया के बच्चों को भी वहीं पढ़ाया. फीस ना होने पर वे खुद उन बच्चों का फीस भरते थे. यहां तक अगर किसी कर्मचारी का कोई प्रतिभावान बच्चा विदेश में पढ़ने का इच्छुक होता था तो उसे विदेश में वहीं पढ़ने भेजा जाता था, जहां जेटली के बच्चे पढ़े हैं.
अरुण जेटली ड्राइवर जगन और अन्य कुछ स्टाफ के बारे जानकारी मीडिया को प्राप्त हुई है. उसके अनुसार करीब 10 कर्मचारी जेटली परिवार के साथ पिछले दो-तीन दशकों से जुड़े हुए हैं. इनमें से तीन के बच्चे अभी विदेश में पढ़ रहे हैं. जेटली परिवार के खान-पान की पूरी व्यवस्था देखने वाले जोगेंद्र की दो बेटियों में से एक लंदन में पढ़ रही हैं. संसद में साए की तरह जेटली के साथ रहने वाले सहयोगी गोपाल भंडारी का एक बेटा डॉक्टर और दूसरा इंजीनियर बन चुका है. इसके अलावा समूचे स्टाफ में सबसे अहम चेहरा थे सुरेंद्र. वे कोर्ट में जेटली के प्रैक्टिस के समय से उनके साथ थे. घर के ऑफिस से लेकर बाकी सारे काम की निगरानी इन्हीं के जिम्मे थे. जिन कर्मचारियों के बच्चे एमबीए या कोई अन्य प्रोफेशनल कोर्स करना चाहते थे, उसमें जेटली फीस से लेकर नौकरी तक का प्रबंध वे ही करते थे. यह भी पढ़े: अरुण जेटली को श्रद्धांजलि देने के लिए आज मैदान पर काली पट्टी बांधकर उतरेगी टीम इंडिया
बता दें कि बीजेपी वरिष्ठ नेता अरुण जेटली का लंबी बीमारी के चलते दिल्ली के एम्स अस्पताल में शनिवार को निधन हो गया. उनका इलाज एम्स में नौ अगस्त से चल रहा था. आपको बात दें कि मई 2018 में जेटली (Arun Jaitley) का किडनी ट्रांसप्लांट हुआ था. उससे पहले साल 2016 में उनकी बेरिएट्रिक सर्जरी हुई थी. जिसके बाद से ही उनकी तबियत बिगडती गई. इस बीच वे बीच - बीच में अपना इलाज करवाते रहें लेकिन उनके स्वास्थ में सुधार नहीं. यही वजह है कि नौ अगस्त को उनकी तबियत बिगड़ने के बाद उन्हें दिल्ली के एम्स अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती करवाया गया था.