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ट्रंप की 'अमेरिका फर्स्ट' नीति भारत के लिए चुनौती? वीजा पॉलिसी में सख्ती के चलते IT सेक्टर पर होगा असर

डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति बनने पर "अमेरिका फर्स्ट" नीति से भारत पर आर्थिक दबाव बढ़ सकता है, जिसमें व्यापार टैरिफ में वृद्धि और भारतीय आईटी पेशेवरों के लिए वीज़ा नियमों में सख्ती शामिल है.

देश Shubham Rai|
ट्रंप की 'अमेरिका फर्स्ट' नीति भारत के लिए चुनौती? वीजा पॉलिसी में सख्ती के चलते IT सेक्टर पर होगा असर

नई दिल्ली: यदि डोनाल्ड ट्रंप फिर से अमेरिकी राष्ट्रपति बनते हैं, तो उनकी 'अमेरिका फर्स्ट' नीति के तहत विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में संरक्षणवाद की प्रवृत्ति और भी बढ़ सकती है. विशेषज्ञों का मानना है कि चीन और भारत की व्यापार नीतियों पर ट्रंप के आलोचनात्मक दृष्टिकोण से यह संभावना और अधिक बढ़ जाती है. ट्रंप की इस नीति के चलते अमेरिका में विदेशी नौकरी के अवसर सीमित होने और भारतीय आईटी सेक्टर पर असर पड़ने की आशंका है.

भारत के लिए नए अवसर और चुनौतियां 

विशेषज्ञों के अनुसार, अमेरिका के साथ व्यापार में बढ़ते दबाव और वीजा नीतियों में सख्ती के बावजूद भारत के पास नए अवसर भी उभर सकते हैं. ट्रंप की चीन पर भारी शुल्क लगाने की नीति से भारत को अमेरिकी बाजार में अपनी आपूर्ति बढ़ाने का मौका मिल सकता है. इसके अलावा, अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनाव से चीन की आर्थिक वृद्धि धीमी पड़ने की संभावना है, जिसका फायदा भारत को हो सकता है, विशेष रूप से कमोडिटी की कीमतों में कमी के रूप में.

चीन को प्रतिस्थापन और भारत की बढ़ती भूमिका 

ट्रंप की 'अमेरिका फर्स्ट' नीति के चलते अमेरिका चीन पर अपनी निर्भरता कम करने की ओर बढ़ सकता है. यह बदलाव भारत के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर हो सकता है, जिससे भारत और अमेरिका के बीच सामरिक और रक्षा संबंध और मजबूत हो सकते हैं. विशेषकर, भारत की चीन के खिलाफ एक संतुलनकारी शक्ति के रूप में भूमिका ट्रंप के कार्यकाल में और भी अहम हो सकती है.

भारत-अमेरिका व्यापार नीति के विशेषज्ञों का सुझाव 

विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को अमेरिका के साथ अपनी व्यापार नीति में सक्रिय दृष्टिकोण अपनाना चाहिए. भारतीय अर्थशास्त्री सचिन चतुर्वेदी के अनुसार, "हमें अपनी व्यापार नीति में ऐसे कदम उठाने चाहिए कि अमेरिका के पास शुल्कों में हस्तक्षेप का कम अवसर रहे." इसके साथ ही, भारत को अपनी व्यापार नीति को मजबूती से स्थापित करने और आर्थिक नुकसान से बचने के लिए अमेरिकी बाजार में अधिक अवसर पैदा करने पर ध्यान देना होगा.

नॉमुरा रिपोर्ट और भारतीय अर्थव्यवस्था पर असर 

एक नॉमुरा रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप की नीतियों से भारत की जीडीपी में संभावित 10 बेसिस पॉइंट की गिरावट आ सकती है, जो चीन के मुकाबले कहीं कम है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ट्रंप की व्यापारिक नीतियों के चलते भारत पर असर सीमित रहेगा, जबकि चीन जैसी अधिक खुली अर्थव्यवस्थाओं पर इसका असर अधिक हो सकता है.

ट्रंप की संभावित 'अमेरिका फर्स्ट' नीति भारतीय अर्थव्यवस्था पर कई तरह के असर डाल सकती है. एक तरफ जहां आयात शुल्क और वीजा नीति में सख्ती से भारत को चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा, वहीं दूसरी तरफ चीन से सप्लाई चेन का बदलाव और अमेरिका के साथ रणनॵ

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    ट्रंप की 'अमेरिका फर्स्ट' नीति भारत के लिए चुनौती? वीजा पॉलिसी में सख्ती के चलते IT सेक्टर पर होगा असर

    डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति बनने पर "अमेरिका फर्स्ट" नीति से भारत पर आर्थिक दबाव बढ़ सकता है, जिसमें व्यापार टैरिफ में वृद्धि और भारतीय आईटी पेशेवरों के लिए वीज़ा नियमों में सख्ती शामिल है.

    देश Shubham Rai|
    ट्रंप की 'अमेरिका फर्स्ट' नीति भारत के लिए चुनौती? वीजा पॉलिसी में सख्ती के चलते IT सेक्टर पर होगा असर

    नई दिल्ली: यदि डोनाल्ड ट्रंप फिर से अमेरिकी राष्ट्रपति बनते हैं, तो उनकी 'अमेरिका फर्स्ट' नीति के तहत विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में संरक्षणवाद की प्रवृत्ति और भी बढ़ सकती है. विशेषज्ञों का मानना है कि चीन और भारत की व्यापार नीतियों पर ट्रंप के आलोचनात्मक दृष्टिकोण से यह संभावना और अधिक बढ़ जाती है. ट्रंप की इस नीति के चलते अमेरिका में विदेशी नौकरी के अवसर सीमित होने और भारतीय आईटी सेक्टर पर असर पड़ने की आशंका है.

    भारत के लिए नए अवसर और चुनौतियां 

    विशेषज्ञों के अनुसार, अमेरिका के साथ व्यापार में बढ़ते दबाव और वीजा नीतियों में सख्ती के बावजूद भारत के पास नए अवसर भी उभर सकते हैं. ट्रंप की चीन पर भारी शुल्क लगाने की नीति से भारत को अमेरिकी बाजार में अपनी आपूर्ति बढ़ाने का मौका मिल सकता है. इसके अलावा, अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनाव से चीन की आर्थिक वृद्धि धीमी पड़ने की संभावना है, जिसका फायदा भारत को हो सकता है, विशेष रूप से कमोडिटी की कीमतों में कमी के रूप में.

    चीन को प्रतिस्थापन और भारत की बढ़ती भूमिका 

    ट्रंप की 'अमेरिका फर्स्ट' नीति के चलते अमेरिका चीन पर अपनी निर्भरता कम करने की ओर बढ़ सकता है. यह बदलाव भारत के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर हो सकता है, जिससे भारत और अमेरिका के बीच सामरिक और रक्षा संबंध और मजबूत हो सकते हैं. विशेषकर, भारत की चीन के खिलाफ एक संतुलनकारी शक्ति के रूप में भूमिका ट्रंप के कार्यकाल में और भी अहम हो सकती है.

    भारत-अमेरिका व्यापार नीति के विशेषज्ञों का सुझाव 

    विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को अमेरिका के साथ अपनी व्यापार नीति में सक्रिय दृष्टिकोण अपनाना चाहिए. भारतीय अर्थशास्त्री सचिन चतुर्वेदी के अनुसार, "हमें अपनी व्यापार नीति में ऐसे कदम उठाने चाहिए कि अमेरिका के पास शुल्कों में हस्तक्षेप का कम अवसर रहे." इसके साथ ही, भारत को अपनी व्यापार नीति को मजबूती से स्थापित करने और आर्थिक नुकसान से बचने के लिए अमेरिकी बाजार में अधिक अवसर पैदा करने पर ध्यान देना होगा.

    नॉमुरा रिपोर्ट और भारतीय अर्थव्यवस्था पर असर 

    एक नॉमुरा रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप की नीतियों से भारत की जीडीपी में संभावित 10 बेसिस पॉइंट की गिरावट आ सकती है, जो चीन के मुकाबले कहीं कम है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ट्रंप की व्यापारिक नीतियों के चलते भारत पर असर सीमित रहेगा, जबकि चीन जैसी अधिक खुली अर्थव्यवस्थाओं पर इसका असर अधिक हो सकता है.

    ट्रंप की संभावित 'अमेरिका फर्स्ट' नीति भारतीय अर्थव्यवस्था पर कई तरह के असर डाल सकती है. एक तरफ जहां आयात शुल्क और वीजा नीति में सख्ती से भारत को चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा, वहीं दूसरी तरफ चीन से सप्लाई चेन का बदलाव और अमेरिका के साथ रणनीतिक संबंधों में मजबूती भारत के लिए लाभकारी साबित हो सकती है.

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