जम्मू कश्मीर लिबेरेशन फ्रंट (JKLF) प्रमुख यासीन मलिक ( Yasin Malik) को अलगाववादियों और आतंकवादी समूहों को आर्थिक मदद देने से जुड़े एक मामले के संबंध में एनआईए (National Investigation Agency) द्वारा उनका प्रोडक्शन रिमांड हासिल कर लेने के बाद मलिक को यहां लाया गया. मलिक को पिछले महीने गिरफ्तार कर जम्मू की कोट बलवाल जेल भेज दिया गया था. हाल ही में केंद्र ने गैरकानूनी गतिविधियों में लिप्त पाने पर प्रतिबंध लगा दिया था.
जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट ने तीन दशक पुराने मामलों को फिर से खोलने की सीबीआई की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. इन मामलों में मलिक एक आरोपी हैं. जेकेएलएफ (JKLF) प्रमुख पर तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद का 1989 में अपहरण करने और 1990 के शुरुआती वक्त में भारतीय वायुसेना के चार कर्मियों की हत्या में कथित तौर पर शामिल होने का आरोप है.
National Investigation Agency brought Kashmiri separatist leader Yasin Malik to Delhi last evening as NIA Court had issued a production warrant against him. (File pic) pic.twitter.com/tGeXwtCAfJ
— ANI (@ANI) April 10, 2019
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एनआईए (NIA) ने जम्मू की विशेष अदालत का रुख कर आतंकवाद के वित्तपोषण मामले में मलिक को हिरासत में लेकर जांच करने की मांग की थी. जेकेएलएफ को हाल में गैरकानूनी गतिविधियां कानून के तहत प्रतिबंधित किया गया था. गृह मंत्रालय की एक अधिसूचना में कहा गया है, कश्मीर घाटी से कश्मीरी पंडितों को निकालने का यासीन मलिक मास्टरमाइंड रहा है और उनके संहार के लिए जिम्मेदार है.
जेकेएलएफ को भारतीय वायुसेना के चार अफसरों की हत्या का इलजाम लगता रहा है. साथ ही उस पर तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मुहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद के अपहरण का भी आरोप लगा था. इससे पहले केंद्र ने जम्मू एवं कश्मीर की जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध लगाया था.