Supreme Court On The Kerala Story Ban in Bengal: 'द केरला स्टोरी' पर पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से लगाये बैन पर SC ने सवाल उठाया. CJI ने कहा- पूरे देश में फ़िल्म चल रही है तो फिर पश्चिम बंगाल में बैन की क्या ज़रूरत है. पश्चिम बंगाल भी देश से अलग नहीं है. अगर लोगो को फ़िल्म अच्छी नहीं लगेगी तो वो नहीं देखेंगे. ये लोगों को तय करने दीजिए.
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि फिल्म को केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) ने मंजूरी दे दी है और अन्य राज्यों में इसकी स्क्रीनिंग की जा रही है. "पश्चिम बंगाल में इसे प्रतिबंधित क्यों किया गया है?"
अदालत फिल्म के निर्देशक सुदीप्तो सेन द्वारा पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी. सेन ने आरोप लगाया है कि प्रतिबंध राजनीति से प्रेरित है और सरकार फिल्म के संदेश को दबाने की कोशिश कर रही है.
पश्चिम बंगाल सरकार ने प्रतिबंध का बचाव करते हुए कहा है कि फिल्म "भड़काऊ" है और कानून और व्यवस्था की समस्या पैदा कर सकती है. हालांकि कोर्ट ने सरकार के तर्क को स्वीकार नहीं किया है और 19 मई तक विस्तृत जवाब दाखिल करने को कहा है.
कोर्ट का यह फैसला ऐसे समय में आया है जब भारत में अभिव्यक्ति की आजादी पर बहस तेज हो रही है. सरकार पर असंतोष को दबाने और मीडिया पर प्रतिबंध लगाने का आरोप लगाया गया है. इस मामले में कोर्ट के दखल को अभिव्यक्ति की आजादी की रक्षा की दिशा में एक सकारात्मक कदम के रूप में देखा जा रहा है.
फिल्म "द केरल स्टोरी" केरल की तीन महिलाओं की वास्तविक जीवन की कहानी पर आधारित है, जो कथित तौर पर कट्टरपंथी थीं और इस्लामिक स्टेट (आईएस) में शामिल हो गई थीं. फिल्म को कट्टरता के मुद्दे से संवेदनशील तरीके से निपटने के लिए समीक्षकों द्वारा सराहा गया है.