सनातन धर्म का सबसे महत्वपूर्ण एवं लोकप्रिय पर्व है रक्षा बंधन. जिसे राखी के नाम से भी मनाया जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार श्रावण पूर्णिमा के दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखियां बांधती हैं, और भाई जीवन भर उसकी रक्षा करने का वचन देते हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार महाभारत काल में द्रौपदी ने सर्वप्रथम भगवान श्रीकृष्ण को राखी बांधी थी. ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार चित्तौड़ की रक्षा के लिए रानी कर्णावती ने मुगल बादशाह हुमायूं को राखी भेजी थी. आज के कामकाजी जीवन में भी यह परंपरा शाश्वत है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस वर्ष 09 अगस्त को रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाएगा. आइये जानते हैं इस पर्व का महात्म्य इतिहास एवं सेलिब्रेशन आदि के बारे में
राखी बांधने की मूल तिथि एवं शुभ मुहूर्त
श्रावण पूर्णिमा प्रारंभः 02:12 PM (08 अगस्त 2025, शुक्रवार) से
श्रावण पूर्णिमा समाप्तः 01:24 PM (09 अगस्त 2025, शनिवार) तक
उदया तिथि के नियमों के अनुसार रक्षाबंधन का त्योहार 9 अगस्त को मनाया जाएगा
राखी बांधने का सबसे शुभ मुहूर्तः प्रातः 05.39 AM से 01.24 PM तक (09 अगस्त 2025)
राखी बांधने का दूसरा शुभ मुहूर्तः प्रातः 01.41 AM से 02.54 PM तक (09 अगस्त 2025)
भद्रा काल में राखी बांधने से बचें
हिंदू पंचांग के अनुसार 9 अगस्त 2025 की भोर 01.52 AM तक भद्रा काल रहेगा. यानी 9 अगस्त को पूरे दिन राखी बांधी जा सकती है.
रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है?
हर वर्ष श्रावण पूर्णिमा के दिन रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाता है. यह त्यौहार भाई-बहन के प्रेम और कर्तव्य के बंधनों का प्रतीक है. इस दिन, बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधते हुए उनकी रक्षा, स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना करती हैं. इसके बदले में भाई अपनी बहनों को गिफ्ट भेंट करते हैं और ताउम्र उनकी रक्षा का वचन देते हैं. इससे जुड़ी कई पौराणिक एवं ऐतिहासिक कथाएं भी प्रचलित हैं.












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