Rajasthan: इस शख्स ने साबित कर दिया कि इंसानियत से बड़ा कोई धर्म नहीं, प्लाज्मा दान करने के लिए तोड़ा पहला रोजा
ब्लड प्लाज्मा/प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: Pixabay)

राजस्थान: उदयपुर में एक 32 वर्षीय व्यक्ति ने कोविड पॉजिटिव दो महिलाओं को अपना प्लाज्मा दान करने के लिए रमजान महीने का अपना पहला रोज़ा को तोड़ दिया. द टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, अकील मंसूरी (Aqueel Mansoori) जो एक सिविल ठेकेदार हैं, जो पिछले साल सितंबर में COVID-19 पॉजिटिव पाए गए थे. हाल ही में जब वह सोशल मीडिया पर ब्राउज़ कर रहा था, तो उसे पता चला कि 36 वर्षीय निर्मला और 30 वर्षीय अल्का सहित दो महिलाओं को ब्लड ग्रुप A+ की जरूरत है. मैसेज पढ़ने के तुरंत बाद, मैं अस्पताल गया और अपने प्लाज्मा दान के लिए स्वेच्छा से भाग लिया. चूंकि मैं सितंबर में कोविद-19 से ठीक हुआ था. इसलिए मुझे प्लाज्मा दान प्रक्रिया पता थी, “मंसूरी ने टीओआई को बताया. यह भी पढ़ें: असम: पानुल्लाह अहमद नाम के शख्स ने रोजा तोड़कर बचाई अनजान बीमार हिंदू की जान

प्लाज्मा दान के लिए उन्हें फिट पाए जाने के बाद डॉक्टरों ने उन्हें तैयार होने और कुछ खाने के लिए कहा. उस दिन उनका पहला रोजा था, लेकिन प्लाज्मा दान करने के लिए उन्हें रोजा तोड़ना पड़ा. अकील मंसूरी के इस अच्छे काम की लोग बहुत प्रशंसा कर रहे हैं. अकील मंसूरी ने ये साबित कर दिया है कि इंसानियत से बड़ा कोई धर्म नहीं है. उनका मानना है कि उन्होंने कोई बड़ा काम नहीं किया है, उनका कहना है कि उन्होंने इंसानियत का फर्ज निभाया है.

मंसूरी ने कहा, "एक इंसान के रूप में यह मेरी जिम्मेदारी थी और मुझे रोजा तोड़ने का कोई पछतावा नहीं है." मंसूरी के अनुसार, उन्होंने अपने जीवन में 17 से अधिक बार रक्तदान किया है. COVID-19 से ठीक होने के बाद उन्होंने अपना प्लाज्मा तीन बार दान किया है.