आरएसएस मुख्यालय में प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्र, राष्ट्रवाद और देशभक्ति पर कही यह खास बातें
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक के कार्यक्रम को संबोधित किया ( Photo Credit: IANS )

नागपुर. पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गुरुवार को यहां राष्ट्रीय स्वयंसेवक (आरएसएस) के मुख्यालय में सरल शब्दों में संघ को राष्ट्रवाद की पाठ पढ़ाई. अपने भाषण में उन्होंने भारत की बहुलतावादी संस्कृति का बखान किया. प्रणब मुखर्जी ने खुलकर राष्ट्रवाद ,देशभक्ति और राष्ट्र जैसे तीनों ही मसलों पर अपनी बातें कही. उन्होंने साफतौर पर कहा कि घृणा से राष्ट्रवाद कमजोर होता है और असहिष्णुता से राष्ट्र की पहचान क्षीण पड़ जाएगी.

मैं अपने विचारों को साझा करने आया हूं, उन्होंने भारत के दरवाजे सबके लिए खुले हुए है. उन्होंने कहा कि बाल गंगाधर तिलक ने 'स्वराज हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है' का नारा दिया. राष्ट्रवाद किसी भाषा, रंग, धर्म, जाति आदि से प्रभावित नहीं होता. हमें लोकतंत्र गिफ्ट के रूप में नहीं मिला. प्रणव मुखर्जी ने हात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और सरदार पटेल के दर्शनों की याद दिलाते हुए कहा कि राष्ट्रीयता एक भाषा, एक धर्म और एक शत्रु का बोध नहीं कराती है. प्रणब अपना भाषण अंग्रेजी में दे रहे थे, मगर बीच-बीच में वह अपनी मातृभाषा बांग्ला के मुहावरों का इस्तेमाल भी कर रहे थे.

प्रणव मुखर्जी ने अपने संबोधित करते हुए कहा कि इस देश में इतनी विविधता है कि कई बार हैरानी होती है. भारत में 122 भाषाएं हैं, 1600 से ज्यादा बोलियां हैं. इस देश में सात मुख्य धर्म हैं और तीन जातीय समूह हैं लेकिन यही विविधता ही हमारी असली ताकत है. यह हमें पूरी दुनिया में विशिष्ट और सबसे खास बनाता है. साथ ही भारतीयता उनकी एक पहचान है और उनका कोई शत्रु नहीं है.

कांग्रेस के बदले सुर

प्रणव मुखर्जी आरएसएस मुख्यालय में यहां तीसरे सालाना प्रशिक्षण शिविर को संबोधित कर रहे थे. उनके इस शिविर में शिरकत करने का निमंत्रण स्वीकार किए जाने पर कांग्रेस और वामपंथी दलों ने आलोचना किया था. लेकिन उनके भाषण के बाद अब कांग्रेस ने भी अपना सुर बदल लिया है. कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, उन्होंने संघ को 'सच का आईना' दिखाया.