मिशन 2019: राहुल गांधी को रोकने के लिए मोदी नहीं केसीआर बुन रहे हैं जाल, कांग्रेस को हो सकता है बड़ा नुकसान
तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी (File Photo)

नई दिल्ली: आगामी 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले तेलंगाना के मुख्यमंत्री और तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) प्रमुख के चंद्रशेखर राव (केसीआर) तीसरे मोर्चे यानि थर्ड फ्रंट के गठन की तैयारियों में पूरे दमखम के साथ जुटे हुए है. इसी कड़ी में राव बुधवार को समाजवादी पार्टी चीफ अखिलेश यादव और बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती से मुलाकात करने वाले है. इसके लिए केसीआर दिल्ली पहुंच चुके हैं. इससे पहले राव ने सोमवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात की थी. दरअसल राव 2019 चुनावों से पहले बीजेपी और कांग्रेस का विकल्प देने के लिए क्षेत्रीय दलों को एक साथ लाने का प्रयास कर रहे है.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक लोकसभा चुनाव के मद्देनजर केसीआर (K Chandrashekhar Rao) थर्ड फ्रंट के गठन के लिए अगले तीन दिन तक दिल्ली में रहेंगे और क्षेत्रीय दलों के प्रमुख नेताओं से मुलाकात करेंगे. अभी तक अखिलेश और मायावती से केसीआर के मुलाकात का समय तय नहीं हो सका है.

 थर्ड फ्रंट के लिए बातचीत जारी रहेगी-

अपने गृह राज्य तेलंगाना में फिर से जीत हासिल करने वाले राव 2019 के चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस और बीजेपी का विकल्प उपलब्ध कराने के लिए नेताओं के साथ बैठक कर रहे है. चन्द्रशेखर राव ने सोमवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात की और इसे ‘‘बहुत ही सुखद’’ बताया.

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उन्होंने कहा कि गैर-बीजेपी और गैर-कांग्रेस गठबंधन के लिए बातचीत जारी रहेगी. अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनावों के लिए वे बहुत जल्द ही एक ठोस योजना के साथ आएंगे. ममता से मिलने से पहले उन्होंने ओडिशा के मुख्यमंत्री और बीजू जनता दल (बीजद) के अध्यक्ष नवीन पटनायक से भुवनेश्वर में मुलाकात की.

प्रयास जारी रखूंगा-

गैर-बीजेपी और गैर-कांग्रेस गठबंधन पर उनके मिशन के बारे में पूछे जाने पर केसीआर ने कहा था, ‘‘मैं अपने प्रयास जारी रखूंगा. यह केसीआर का मिशन है, मैं अपना मिशन जारी रखूंगा.’’ राव ने कहा था,‘‘यह अभी केवल बातचीत की शुरूआत है. हम फिर मिलेंगे और इस बात पर चर्चा करेंगे कि चीजों को कैसे आगे ले जाया जायेगा.’’

थर्ड फ्रंट से कांग्रेस को ज्यादा खतरा- 

पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद सियासी दलों के साथ-साथ पॉलिटिकल पंडितों का मानना है कि आगामी लोकसभा चुनाव में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत मिलने के आसार बहुत कम है. ऐसे में अगर थर्ड फ्रंट बनता है तो ना केवल बीजेपी बल्कि कांग्रेस को भी नुकसान पहुंच सकता है. लेकिन कांग्रेस को ज्यादा नुकसान हो सकता है. क्योकि कांग्रेस की अगुवाई में बन रहे महागठबंधन से नाराज क्षेत्रीय दल थर्ड फ्रंट में शामिल हो सकते है. ऐसे में 2019 में केंद्र की सत्ता बनाने में थर्ड फ्रंट का किरदार बहुत अहम साबित होने वाला है.