![पश्चिम बंगाल में नागरिकता कानून के विरोध प्रदर्शन जारी, कई स्थानों पर सड़कें जाम पश्चिम बंगाल में नागरिकता कानून के विरोध प्रदर्शन जारी, कई स्थानों पर सड़कें जाम](https://hist1.latestly.com/wp-content/uploads/2019/12/west1-1-380x214.jpg)
संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ पश्चिम बंगाल (West Bengal) में जारी विरोध प्रदर्शनों के तीसरे दिन प्रदेश के नदिया, उत्तर 24 परगना और हावड़ा जिलों से हिंसा की छिटपुट खबरें सामने आई हैं. पुलिस ने रविवार को इसकी जानकारी दी. उत्तर 24 परगना और नदिया जिलों के अमदंगा और कल्याणी इलाके में, प्रदर्शनकारियों ने कई प्रमुख मार्गों को अवरुद्ध किया और सड़कों पर लकड़ी के कुन्दे जलाए. जिले के देगंगा इलाके में दुकानों में तोड़-फोड़ करने के साथ ही टायर जलाए गए.
नदिया में, प्रदर्शनकारियों ने कल्याणी एक्सप्रेस हाईवे को अवरुद्ध किया और कुछ ने संशोधित कानून की प्रतियां जलाईं . इसी तरह के विरोध प्रदर्शनों की खबर हावड़ा जिले के दोमजुर इलाके, वर्द्धमान और बीरभूम के कुछ हिस्सों से मिली जहां प्रदर्शनकारियों ने रैलियां निकालीं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सरकार के खिलाफ नारेबाजी की.
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स्थिति को नियंत्रण में लेने के लिए पुलिस की बड़ी टुकड़ियों को मौके पर भेजा गया. हालांकि, खबरों के मुताबिक, पिछले दो दिनों के उलट, हावड़ा-सियालदह और खड़गपुर खंडों पर ट्रेनों की आवाजाही सामान्य रही. तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं राज्य के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने शांति की अपील की है और प्रदर्शनकारियों को आश्वस्त किया कि संशोधित कानून राज्य में लागू नहीं होगा. चटर्जी ने कहा, “हम हर किसी से शांति बनाए रखने की अपील करेंगे. हम आपको आश्वासन दे सकते हैं कि कानून राज्य में लागू नहीं किया जाएगा.”
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश महासचिव सायंतन बसु ने सत्तारूढ़ पार्टी पर राज्य में खराब होती कानून-व्यवस्था को नियंत्रण में करने के लिए बहुत कम प्रयास करने का आरोप लगाया. संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ राज्य के कई हिस्सों में पिछले दो दिनों से हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं जहां प्रदर्शनकारियों ने रेलवे स्टेशनों को आग लगाने के साथ ही सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया है.
संशोधित कानून से समूचे पूर्वोत्तर भारत और पश्चिम बंगाल में आक्रोश है जहां लोगों को डर है कि यह अवैध आव्रजन की समस्या को और बढ़ा देगा. देशभर के मुस्लिमों का मानना है कि यह देश भर में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) लागू करने का पूर्व संकेत हो सकता है.