Piyush Goyal बने राज्यसभा में सदन के नेता, जानें क्या होता है काम
पीयूष गोयल (Photo Credits- PTI)

भारतीय जनता पार्टी के नेता और केन्द्रीय मंत्री पीयूष गोयल राज्यसभा में सदन के नेता नियुक्त किए गए हैं. पीयूष गोयल, राज्यसभा में सदन के नेता के तौर पर थावरचंद गहलोत की जगह लेंगे, जो अब कर्नाटक के राज्यपाल हैं. हाल ही में थावरचंद गहलोत को राज्यपाल बनाए जाने के बाद यह पद खाली हुआ था. राज्यसभा में नेता के लिए भूपेंद्र यादव (केन्द्रीय राज्य मंत्री), निर्मला सीतारमण(वित्त मंत्री) और मुख्तार अब्बास नकवी(अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री) का भी नाम आगे चल रहा था, लेकिन अब पीयूष गोयल को यह जिम्मेदारी दी गई है.

केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने नियुक्ति की घोषणा करते हुए ट्वीट किया: “पीयूष गोयल जी को राज्यसभा में सदन का नेता नियुक्त किए जाने पर बधाई. उन्हें पीएम नरेंद्र मोदी जी ने अहम जिम्मेदारी सौंपी है. कामना है कि वह राष्ट्र की सेवा में निरंतर जोश के साथ काम करेंगे.”

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केन्द्रीय मंत्री भी हैं पीयूष गोयल:

पीयूष गोयल फिलहाल महाराष्ट्र से राज्यसभा सदस्य हैं. इसके अलावा वो वाणिज्य और उद्योग, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण, और कपड़ा सहित कई प्रमुख मंत्रालयों के प्रभारी हैं. जब थावरचंद गहलोत सदन के नेता थे, तब पीयूष गोयल राज्यसभा के उपनेता रह चुके हैं.

सदन के नेता की भूमिका:

राज्यसभा की कार्यप्रणाली और प्रक्रिया के अनुसार, “सदन का नेता एक महत्वपूर्ण संसदीय पदाधिकारी होता है, जो संसदीय कार्य के दौरान प्रत्यक्ष प्रभाव रखता है”. यह पद अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि सत्ताधारी दल को राज्यसभा में स्पष्ट बहुमत नहीं है और सदन के नेता को महत्वपूर्ण विधेयकों पर चर्चा और पारित होने के दौरान सदन के सदस्यों के बीच समन्वय करना होगा.

ये बड़े नेता रह चुके हैं इस पद पर:

राज्यसभा में सदन के नेता के तौर पर भारतीय राजनीति के इतिहास में कई बड़े नेताओं ने इस पद की गरिमा बढ़ाई है. गोयल से पहले थावरचंद गहलोत इस पद पर 2 साल रहे हैं. वहीं 2014 से 2019 तक अरुण जेटली ने ये पद संभाला था. इसके आलवा इस पद मनमोहन सिंह और लाल कृष्ण आडवाणी जैसे दिग्गज भी रहे हैं. राज्यसभा में सदन के नेता के तौर पर एन. गोपालस्वामी अयांगर पहले व्यक्ति थे.

राज्यसभा में विपक्ष का नेता:

संसद के दोनों सदनों में पक्ष और विपक्ष का एक नेता होता है, जिसे संबंधित दलों द्वारा ही नियुक्त किया जाता है. इस वक्त राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे है. मल्लिकार्जुन खड़गे को इसी वर्ष फरवरी में गुलाम नबी आजाद की जगह लाया गया था, जिनका राज्यसभा कार्यकाल फरवरी में खत्म हो गया था.

राज्‍य सभा और लोक सभा में विपक्ष के नेता की महत्‍वपूर्ण भूमिका को ध्‍यान में रखते हुए उन्‍हें वैधानिक मान्‍यता प्रदान की गई है. उन्‍हें 1 नवम्‍बर 1977 को प्रभावी एवं पृथक विधान के माध्‍यम से वेतन तथा अन्‍य उपयुक्‍त सुविधाएं प्रदान की जाती हैं.

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लोकसभा में विपक्ष के नेता:

इस समय लोकसभा में विपक्ष के नेता की भूमिका रनवीत सिंह बिट्टू है, जिन्हें मार्च में अधीर रंजन चौधरी की जगह लाया गया है. अधीर रंजन चौधरी ने मार्च में पश्चिम बंगाल के चुनाव के चलते इस पद से हटने का निर्णय लिया था. लोकसभा मे विपक्ष के नेता की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है. वह सरकार की नीतियों की रचनात्मक आलोचना करता है, जिससे नीतियों में सुधार हो और आम लोगों को फायदा पहुंचे.