Maharashtra Political Crisis: उच्चतम न्यायालय की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने बृहस्पतिवार को सर्वसम्मति वाले अपने फैसले में कहा कि वह उद्धव ठाकरे नीत तत्कालीन महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार को बहाल नहीं कर सकता क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री ने पिछले वर्ष जून माह में शक्ति परीक्षण का सामना किए बिना ही पद से इस्तीफा दे दिया था.
- उच्चतम न्यायालय ने कहा कि वह ठाकरे नीत एमवीए सरकार को बहाल करने के उपाय के बारे में विचार कर सकता था अगर उन्होंने मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा नहीं दिया होता.
- शीर्ष अदालत ने महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की भी खिंचाई की और कहा कि उनके पास इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए ऐसी सामग्री नहीं थी कि तत्कालीन मुख्यमंत्री ठाकरे ने सदन का विश्वास खो दिया है.
- उच्चतम न्यायालय ने कहा कि तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष का भरत गोगावले को शिवसेना के मुख्य सचेतक के रूप में मान्यता देने का निर्णय ‘‘कानून के अनुरुप नहीं’’ था.
- उच्चतम न्यायालय ने कहा कि किसी राज्य के राज्यपाल के पास राजनीतिक दायरे में दाखिल होने तथा अंतर-दलीय विवादों या पार्टी के आंतरिक विवादों में भूमिका निभाने की शक्तियां नहीं होती.
- न्यायालय ने कहा कि महाराष्ट्र के तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी का मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को विधानसभा में शक्ति परीक्षण कराने के लिए कहना ‘‘कानून के अनुरूप नहीं था.’’
- न्यायालय ने कहा कि राज्यपाल का एकनाथ शिंदे को नयी सरकार गठित करने के लिए आमंत्रित करने का 30 जून 2022 का निर्णय उचित था.
- न्यायालय ने कहा कि एक बार कोई सरकार कानून के अनुरूप लोकतांत्रिक तरीके से निर्वाचित हो जाती है तो ऐसी धारणा होती है कि उसे सदन में बहुमत प्राप्त है, इस धारणा को खारिज करने के लिए कोई उद्देश्यपरक सामग्री होनी चाहिए.
- न्यायालय ने कहा कि वह दलबदल कानून के तहत विधायकों के खिलाफ दाखिल अयोग्यता याचिका पर फैसला नहीं दे सकता, साथ ही उसने महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष को मुख्यमंत्री शिंदे तथा अन्य विधायकों के खिलाफ इस प्रकार की याचिका पर निर्णय लेने को कहा.
- शीर्ष अदालत ने विधायकों को अयोग्य करार देने के संबंध में विधानसभा अध्यक्ष के अधिकार से जुड़े पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के 2016 के नबाम रेबिया फैसले को सात न्यायाधीशों की बड़ी पीठ को भी भेज दिया.
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