नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2019 (lok sabha Election 2019) के अंतिम चरण के लिए जारी वोटिंग कुछ ही समय में खत्म हो जायेगा. जिसके बाद हर कोई यह जानने के लिए उत्सुक हो जाता है कि किस पार्टी को जीत मिल रही है. इसके लिए लोग एग्जिट पोल (Exit polls) के नतीजे देखते है. लेकिन आप जानते है कि सबसे पहले किस देश में और कौन सबसे पहले एग्जिट पोल की शुरुआत की थी. तो आइए हम आपको बताते हैं कि किस देश में सबसे पहले एग्जिट पोल की शुरुआत हुई थी.
एग्जिट पोल की सबसे पहले शुरुआत आज से 52 साल पहले 15 फरवरी, 1967 में नीदरलैंड में रहने वाले पूर्व राजनेता मार्सेल वॉन डैम द्वारा की गई थी. अगर भारत में एग्जिट पोल की बात की जाए तो भारत में इसे शुरू करने का पूरा श्रेय इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक ओपिनियन के मुखिया एरिक डी कोस्टा को जाता है. यह भी पढ़े: लोकसभा चुनाव 2019: चुनाव आयोग के दिशा निर्देश, शाम साढ़े 6 बजे के बाद ही दिखाएं एग्जिट पोल
जानें कैसे बनता है एग्जिट पोल
बात दें कि यह एक प्रक्रिया होती है जिसे एग्जिट पोल का नाम दिया गया है. इस प्रकिया के अंतर्गत मतदान के बाद वोट देने वाले मतदाता से बातचीत कर पुराने आकडे और पूर्वानुमानों का आकलन किया जाता है. इस दौरान टोटल कितने फीसदी मतदान हुआ है. सब डेटा जुटाया जाता है. जिसके बाद एक अनुमान के तौर पर एग्जिट पोल जारी होता है कि किस पार्टी को कितने वोट मिल रहे हैं . उस अनुमान के बाद ही कहा जाता है कि सभी पार्टियों में इस पार्टी को सबसे ज्यादा सीटें मिल रही है एग्जिट पोल के आधार पर ही कहा जाता है कि इस पार्टी को सबसे ज्यादा सीटें मिलने के बाद इस पार्टी की सरकार बन सकती है. लेकिन जरूरी नहीं है कि एग्जिट पोल के नतीजे हमेशा सही हो.
वहीं सबसे पहले ओपिनियन पोल का सर्वे अमेरिका में चुनावी सर्वे कराया गया था. इससे प्रभावित होकर इंग्लैंड और फ्रांस ने इसे अपनाया. इंग्लैंड में इसका प्रयोग 1937 में किया गया वहीं फ्रांस ने इसे 1938 में अपनाया.