Baba Siddique Murder Case: बाबा सिद्दीकी हत्याकांड में एक हफ्ते बाद भी नहीं मिला मास्टरमाइंड का सुराग, तलाश में जुटी क्राइम ब्रांच की 15 टीमें

मुंबई: एक हफ्ता बीत चुका है, लेकिन पूर्व मंत्री बाबा सिद्दीकी (66) की हत्या के पीछे असली मास्टरमाइंड कौन है, इस सवाल का जवाब अब भी नहीं मिला है. बांद्रा (पूर्व) में उनकी हत्या के मामले में क्राइम ब्रांच ने 15 टीमें बनाकर जांच तेज़ कर दी है. हालांकि, यह साफ हो चुका है कि इस सनसनीखेज हत्या को लॉरेंस बिश्नोई गैंग ने अंजाम दिया, लेकिन हत्या के पीछे किसने "सुपारी" (कॉन्ट्रैक्ट) दी, यह राज़ अब तक नहीं खुला है.

क्या लॉरेंस बिश्नोई ने खुद सुपारी स्वीकार की? 

सूत्रों के मुताबिक, इस हत्या की सुपारी लॉरेंस बिश्नोई ने सीधे तौर पर नहीं ली थी. माना जा रहा है कि गोल्डी बराड़ या लॉरेंस का भाई अनमोल जैसे गैंग के दूसरे अहम सदस्यों ने भारी रकम के बदले इस हत्या को अंजाम देने पर सहमति दी थी.

लॉरेंस बिश्नोई, जो इस समय अहमदाबाद के साबरमती जेल में बंद है, पिछले दो महीनों से बाहरी दुनिया से पूरी तरह कटा हुआ है. जेल में मोबाइल जैमर लगाए गए हैं, जिससे उसके गैंग के सदस्यों से संपर्क करना असंभव हो गया है. इस कारण पुलिस को अब तक लॉरेंस से सीधे पूछताछ का मौका नहीं मिला है.

जांच में सामने आईं चुनौतियाँ 

पुलिस ने हत्या में शामिल दो शूटरों, हथियार सप्लायरों और लोकल हैंडलर्स को गिरफ्तार किया है. हालांकि, इनसे पूछताछ में अब तक केवल साजिश के बारे में सीमित जानकारी ही सामने आई है. अंडरवर्ल्ड की गतिविधियां अक्सर "नीड-टू-नो" (जानकारी केवल ज़रूरतमंद तक) सिद्धांत पर आधारित होती हैं, जिससे यह पता लगाना मुश्किल हो जाता है कि सुपारी देने वाला असल व्यक्ति कौन था.

पुलिस पर ज़ीशान का शक और बिल्डर्स की भूमिका 

इस मामले में बाबा सिद्दीक़ी के बेटे ज़ीशान, जो बांद्रा (पूर्व) से विधायक हैं, ने पुलिस को बताया है कि उनके पिता कुछ बिल्डरों के SRA प्रोजेक्ट्स का विरोध कर रहे थे. ज़ीशान का मानना है कि उन्हीं बिल्डरों का इस हत्या में हाथ हो सकता है.

लॉरेंस बिश्नोई से पूछताछ में आ रही अड़चनें 

हत्या की गुत्थी सुलझाने में एक बड़ी बाधा यह है कि मुंबई क्राइम ब्रांच अब तक लॉरेंस बिश्नोई को मुंबई लाकर पूछताछ नहीं कर पाई है. अप्रैल में बिश्नोई गैंग द्वारा सलमान ख़ान के घर पर गोलीबारी के बाद से ही पुलिस लॉरेंस को कस्टडी में लेना चाहती है, लेकिन गृह मंत्रालय से अनुमति नहीं मिल पाई है.

केंद्रीयकृत निर्णय प्रणाली भी बनी बाधा 

जांच में एक और बड़ी समस्या यह है कि क्राइम ब्रांच के निर्णय अब पूरी तरह केन्द्रित हो गए हैं. पहले अलग-अलग यूनिट के इंस्पेक्टर किसी संदिग्ध को पूछताछ के लिए बुला सकते थे, लेकिन अब ये फैसले केवल उच्च स्तर पर लिए जा रहे हैं. इसके अलावा, पुलिस के पास अभी भी बिश्नोई गैंग के ऑपरेशन्स के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं है, जिससे जांच में दिक्कतें आ रही हैं.

नतीजा और आगे का रास्ता 

क्राइम ब्रांच फिलहाल तीन फरार आरोपियों की तलाश में है, जिन्हें पकड़ने के बाद इस हत्या के पीछे के मास्टरमाइंड का खुलासा होने की उम्मीद है. यह स्पष्ट है कि मामला सिर्फ गैंगवॉर या व्यक्तिगत दुश्मनी तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके पीछे बड़े आर्थिक और प्रोजेक्ट संबंधी हित भी हो सकते हैं.

इस हत्याकांड ने मुंबई पुलिस और क्राइम ब्रांच के लिए एक बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है. सवाल अब यह है कि क्या पुलिस समय रहते असली मास्टरमाइंड को पकड़ पाएगी या यह मामला भी कई अन्य मर्डर मिस्ट्री की तरह अनसुलझा रह जाएगा.