मुजफ्फरपुर शेल्टर होम रेप केस: दिल्ली की अदालत आज सुना सकती है फैसला
मुजफ्फरपुर शेल्टर होम रेप केस का प्रमुख आरोपी ब्रजेश ठाकुर (Photo Credits: PTI)

बिहार (Bihar) के मुजफ्फरपुर शेल्टर होम (Muzaffarpur Shelter Home) में अनेक लड़कियों के कथित यौन उत्पीड़न और यौन हिंसा से जुड़े मामले में दिल्ली (Delhi) की एक अदालत द्वारा गुरुवार को फैसला सुनाए जाने की संभावना है. इस मामले में ब्रजेश ठाकुर (Brajesh Thakur) नाम का व्यक्ति प्रमुख आरोपी है. अदालत ने पूर्व में फैसला 12 दिसंबर तक के लिए टाल दिया था क्योंकि वर्तमान में तिहाड़ जेल (Tihar Jail) में बंद 20 आरोपियों को राष्ट्रीय राजधानी में सभी छह जिला अदालतों में वकीलों की हड़ताल के चलते अदालत नहीं लाया जा सका था. आरोपियों में आठ महिलाएं और 12 पुरुष शामिल हैं.

मुजफ्फरपुर शेल्टर होम रेप मामला टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज  (Tata Institute of Social Sciences) की रिपोर्ट के बाद प्रकाश में आया था. अदालत ने मामले में सीबीआई के वकील और आरोपियों की दलीलें पूरी होने के बाद 30 सितंबर को निर्णय सुरक्षित रख लिया था. मामले में बिहार की पूर्व समाज कल्याण मंत्री व तत्कालीन जदयू नेता मंजू वर्मा को भी तब आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था जब यह खबर सामने आई कि मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर का उनके पति से संपर्क था. यह भी पढ़ें- मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस पर बोले तेजस्वी यादव- बिहार में चल रहा 'राक्षस राज', नीतीश सरकार को बर्खास्त करें राज्यपाल.

मंजू वर्मा ने आठ अगस्त 2018 को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. सीबीआई ने विशेष अदालत को बताया था कि मामले में सभी 20 आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं. यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) कानून के तहत दर्ज इस मामले में दोषी पाए जाने पर आरोपियों को आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है.

मामले से संबंधित मुकदमे की सुनवाई इस साल 25 फरवरी को शुरू हुई थी जो बंद कमरे में चली. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मामला सात फरवरी को बिहार के मुजफ्फरपुर की एक स्थानीय अदालत से दिल्ली के साकेत जिला अदालत परिसर स्थित POCSO अदालत में स्थानांतरित किया गया था.

टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज की रिपोर्ट 26 मई 2018 को बिहार सरकार को दी गई थी जिसमें शेल्टर होम में लड़कियों से कथित यौन दुराचार को रेखांकित किया गया. पिछले साल 29 मई को बिहार सरकार ने लड़कियों को संबंधित आश्रयगृह से अन्यत्र भेज दिया था. 31 मई 2018 को मामले में प्राथमिकी दर्ज हुई. इसके बाद शीर्ष अदालत ने दो अगस्त को मामले का संज्ञान लेते हुए इसे 28 नवंबर को जांच के लिए सीबीआई को भेज दिया था.