सनातन धर्म में रुद्राक्ष की माला अपने आध्यात्मिक महत्व और दिव्य स्पंदनों के कारण अत्यधिक महत्व रखती है. अपने औषधीय और जादुई गुणों के लिए लोकप्रिय इन पवित्र बीजों का जीवन के विभिन्न पहलुओं पर गहरा प्रभाव पड़ता है, लेकिन रुद्राक्ष धारण करने के भी कुछ नियम हैं, इसके लिए आपको क्या करना चाहिए और क्या नहीं, यह समझने के बाद ही आप इसका लाभ उठा सकते हैं. अगर आप भी भगवान शिव के प्रिय माह सावन में रुद्राक्ष धारण करना चाहते हैं, तो इससे पूर्व इसके नियमों को अवश्य जान लें.
रुद्राक्ष: क्या करें और क्या न करें
रुद्राक्ष की माला, अपने आध्यात्मिक महत्व के लिए पूजनीय है, और हिंदू धर्म में विशिष्ट स्थान रखती है. मान्यता है कि इन पवित्र बीजों में दिव्य स्पंदन होते हैं और इन्हें अक्सर आध्यात्मिक सहायक के रूप में धारण किया जाता है. यद्यपि इसका गहरा प्रभाव होता है. रुद्राक्ष धारण करते समय क्या करें, क्या न करें, और इससे प्रभावी ढंग से लाभ लेना यह समझना बेहद महत्वपूर्ण है. यह भी पढ़ें : Hariyali Teej Mehndi Design: हरियाली तीज पर ये लेटेस्ट मेहंदी पैटर्न लगाकर अपने सोलह श्रृंगार में लगाएं चार चांद, देखें डिजाइन
रुद्राक्ष को समझना जरूरी है
रुद्राक्ष का आध्यात्मिक महत्व बहुत है, साथ ही इससे जुड़ी तमाम मिथक एवं किंवदंतियां भी हैं. इसके मनकों को न केवल उनके औषधीय और जादुई गुणों के लिए महत्व दिया जाता है, बल्कि शिव पुराण और देवी भागवतम् में भी इसका उल्लेख है. ‘रुद्र’ (शिव) और ‘अक्ष’ (आंखों) से उत्पन्न, रुद्राक्ष के मनके विभिन्न रंगों, आकृतियों, और कटों, जिन्हें ‘मुखी’ कहा जाता है, में मिलते हैं. वैज्ञानिकों के अनुसार एलियोकार्पस गैनिट्रस नामक मनकों में मानसिक, शारीरिक, भावनात्मक, भौतिक और आध्यात्मिक शक्तियां होती हैं, जिनका उपयोग विभिन्न स्तरों पर उपचार हेतु किया जाता है. एक मुखी से 21 मुखी तक, प्रत्येक मनका (रुद्राक्ष) सेहत, खुशी, आध्यात्मिक विकास, समृद्धि, रचनात्मकता आदि को प्रभावित करने की क्षमता रखता है.
रुद्राक्ष धारण करने के नियम:
विश्वसनीय स्रोत से खरीदें: रुद्राक्ष हमेशा विश्वसनीय स्रोत से ही खरीदें. इसे अपनी आध्यात्मिक साधना में रखने से पूर्व प्रामाणिकता और उचित ऊर्जा सुनिश्चित कर लें.
विषम संख्या चुनें: विषम संख्या वाले रुद्राक्ष मसलन 1, 3, 5, 7, या 9 वाले पहनें, क्योंकि विषम संख्याएं सम संख्याओं की तुलना में अधिक शुभ मानी जाती हैं, जिससे मनकों की सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है.
सोमवार को धारण करें: रुद्राक्ष धारण करने के लिए सोमवार का दिन सबसे शुभ होता है. इस दिन इसे धारण करने से आध्यात्मिक लाभ अधिकतम होते हैं.
शरीर स्वच्छ हो: स्नान करके ही रुद्राक्ष धारण करें. मान्यता है कि इससे आध्यात्मिक संबंध को शुद्धता मिलती है.
रेशमी या सूती धागे का इस्तेमाल करें: अपने रुद्राक्ष की माला रेशमी या सूती धागे में पिरोए, धातु के तारों का इस्तेमाल ना करें. इससे रुद्राक्ष का आध्यात्मिक स्पंदन प्रभावित हो सकता है. अलबत्ता चाँदी का उपयोग किया जा सकता है.
पवित्र स्थान पर रखें: रुद्राक्ष को स्वच्छ और पवित्र स्थान पर रखें. विशेष रूप से इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों या विकिरण निकलने वाली वस्तुओं से दूर रखें, क्योंकि ये उनकी ऊर्जा में बाधा डाल सकती हैं.
रुद्राक्ष धारण करते समय क्या न करें:
मासिक धर्म और अंतिम संस्कार: मासिक धर्म या अंतिम संस्कार में रुद्राक्ष पहनने से बचें, क्योंकि इस दौरान रुद्राक्ष नकारात्मक ऊर्जाओं के संपर्क में आ सकते हैं, जिससे उनका प्रभाव प्रभावित हो सकती है.
मांसाहारी भोजन, शराब और धूम्रपान से बचें: रुद्राक्ष धारण के दरमियान, मांसाहारी भोजन, शराब या धूम्रपान से दूर रहें, वरना रुद्राक्ष का प्रभाव कम हो सकता है.
स्वच्छता रखें: रुद्राक्ष की माला को स्पर्श करने से पूर्व हाथों को स्वच्छ रखें. उनकी आध्यात्मिक शुद्धता के लिए माला को छूने से पहले हाथ अवश्य धो लें.
सेक्स संबंधों से बचें: रुद्राक्ष की माला पहनकर सेक्स संबंध बनाने से बचें. मान्यता है कि रुद्राक्ष के मनके यौन ऊर्जा को अवशोषित कर सकते हैं, जिससे इसका प्रभाव कम हो सकता है.
अपने रुद्राक्ष की चर्चा दूसरों से न करेंः अपना रुद्राक्ष दूसरों को स्पर्श न करने दें. माना जाता है कि आपकी रुद्राक्ष की माला छूने वाले व्यक्ति की ऊर्जा अवशोषित कर सकती है, जिससे इसका आध्यात्मिक प्रभाव कम हो सकता है.
रुद्राक्ष की माला के साथ साधना करने से आप में सकारात्मक परिवर्तन आ सकते हैं, लेकिन उचित दिशानिर्देशों का पालन करना सर्वोपरि है.













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