भारत में लगातार दूसरे दिन लगातार 5 लाख से अधिक नमूनों के परीक्षण हुए. भारत में अब तक 1.73 करोड़ कोरोना टेस्ट (Corona Test) हो गए. टेस्ट जितने अधिक होंगे उतने ज्यादा मरीजों को ट्रैक कर उनका इलाज किया जा सकेगा. लेकि ऐसे में तमाम लोग एंटीबॉडी टेस्ट (Antibody Test) को लेकर कंफ्यूज हैं. कई लोगों को लगता है कि एंटीजन टेस्ट ही एंटीबॉडी टेस्ट है। जीबी पंत अस्पताल के चिकित्सा विशेषज्ञ की मानें ये दोनों टेस्ट पूरी तरह अलग हैं और उनका उद्देश्य भी अलग है.
जीबी पंत हॉस्पिटल, नई दिल्ली के डॉ. संजय पांडेय के अनुसार खास कर जब तक वैक्सीन नहीं आ जाती खुद को सुरक्षित रखना है. उन्होंने कहा कि अधिकतर जो लोग एसिम्प्टोमेटिक हैं, उनकी एंटीजन टेस्टिंग हो रही है, जिसका परिणाम तुरंत आ जाता है। वहीं जो सिम्प्टोमेटिक हैं यानी लक्षण हैं और उनका एंटीजन टेस्ट निगेटिव आया है तो कनफर्म करने के लिए आरटीपीसीआर टेस्ट जरूर करते हैं. यह भी पढ़े: COVID-19 Vaccine Update: फार्मा कंपनी Moderna की कोरोना वायरस वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल का बंदरों पर दिखा अच्छा परिणाम
इससे यह साफ है कि एंटीजन टेस्टिंग वायरस के संक्रमण का पता करने के लिए करते हैं। एंटीजन टेस्ट तभी होता है जब किसी में कोविड के लक्षण नजर आते हैं। जबकि एंटीबॉडी का टेस्ट मरीज के ठीक होने के बाद किया जाता है, यह पता लगाने के लिए कि उसके अंदर वायरस से लड़ने की क्षमता रखने वाले एंटीबॉडी मौजूद हैं या नहीं.
दो तरह से मानसिक प्रभाव
मरीज की मानसिक स्थिति पर उन्होंने कहा कि कोरोना का प्रभाव कहीं न कहीं दिमाग पर पड़ता है। इसमें पहला प्रभाव वायरस से होता है, जिसमें सूंघने या खाने के स्वाद में परिवर्तन आता है और कई बार न्यूरोलॉजिकल असर पड़ता है, लेकिन ऐसा बहुत कम लोगों में होता है। दूसरा मानसिक असर है, जैसे आइसोलेशन में रहने या समाज से कट जाने से व्यक्ति पर मानसिक प्रभाव पड़ता है। कई बार लोग डॉक्टरों या चिकित्साकर्मियों को पीपीई किट में देख कर ही घबरा जाते हैं। इसलिए अगर कोई संक्रमित है तो उसे हेल्पलाइन नंबर दें, जिसपर वो बात कर सके। परिवार से वीडियो कॉल पर बात करें, अपने डॉक्टर से भी बात करें, अपनी परेशानी बताएं। इससे तनाव और अवसाद कम होता.
सरकारी में मुफ्त और प्राइवेट में आधी हुई टेस्ट की फीस
टेस्टिंग के खर्च पर कहा कि कोरोना वायरस की जांच हर शहर और जिले में उपलब्ध है। सभी सरकारी अस्पताल में कोविड जांच मुफ्त में हो रही है। प्राइवेट अस्पतालों में पहले करीब 4 हजार रुपये लगते थे, लेकिन अब आईसीएमआर ने खर्च को आधा कर दिया है, यानी करीब दो हजार रुपए का खर्च आता है। घबराएं नहीं सरकारी अस्पतालों में मुफ्त में टेस्ट होता है.
2021 के शुरूआत तक पूरे देश को वैक्सीन मिलने की उम्मीद
वैक्सीन पर डॉ पांडेय ने बताया कि वैक्सीन बनाना बड़ी बात नहीं है, बल्कि असरकारी और सुरक्षित वैक्सीन बनाना ज्यादा जरूरी है। वैसे कई वैक्सीन जिनमें ऑक्सफ़ोर्ड और यूएस की वैक्सीन भी हैं, एडवांस स्टेज में पहुंच गई हैं। किसी भी वैक्सीन के सफल होने पर सरकार वैक्सीनेशन के जरिए पूरे भारत को कवर करेगी और उम्मीद है 2021 की शुरूआत तक देश में सभी को वैक्सीन मिल जाएगी। इस दौरान उन्होंने कहा कि कोरोना की वैक्सीन कही भी बने अमेरिका की है तो भारत में प्रयोग की जा सकेगी। इसी प्रकार भारत में बनी वैक्सीन अमेरिका में भी दी जा सकेगी.