बेंगलुरु: भारत ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में बुधवार को एक और बड़ी उपलब्धि अपने नाम दर्ज करवाई. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से स्वदेशी संचार उपग्रह जीसैट-29 को सफलतापूर्वक लांच किया. इसरो के मुताबिक पृथ्वी से 36,000 किमी दूर जियो स्टेशनरी ऑर्बिट में स्थापित होने वाले इस उपग्रह से दूरदराज के क्षेत्रों में हाई स्पीड डेटा को ट्रांसफर करने में मदद मिलेगी.
भारत में बनाए गए उच्च प्रवाह क्षमता वाले जीएसएलवी मार्क थ्री-डी2 मिशन के संचार उपग्रह जीसैट-29 को आज शाम 5.08 बजे प्रक्षेपित किया गया. यह भूमध्य रेखा के लिये जरूरी झुकाव के साथ उपग्रह को भूस्थैतिक स्थानांतरण कक्षा (जीटीओ) में स्थापित करेगा.
#WATCH: Indian Space Research Organisation (ISRO) launches GSLV-MK-III D2 carrying GSAT-29 satellite from Satish Dhawan Space Centre in Sriharikota. #AndhraPradesh pic.twitter.com/7572xEzTq2
— ANI (@ANI) November 14, 2018
इसरो के चेयरमैन के सिवान के मुताबिक जीसैट-29 पर एक 'हाई रेज्यूलेशन' का कैमरा लगाया गया है. जिसकी मदद से हिंद महासागर में दुश्मनों की जहाज पर बारीकी से नजर रखी जा सकेगी. साथ ही भारत सरकार के डिजिटल इंडिया मिशन को बल मिलेगा. इस संचार उपग्रह से जम्मू-कश्मीर समेत उत्तर-पूर्वी भारत के इलाकों में इंटरनेट पहुंचाने में मदद मिलेगी.
This particular satellite is going to provide services to remote place in India, especially in J&K&northeast India under Digital India program of GoI:K Sivan Chairman ISRO after successful launch of GSLV-MK-III D2 carrying GSAT-29 satellite from SDSC in Sriharikota.#AndhraPradesh pic.twitter.com/oYDrbXbJFN
— ANI (@ANI) November 14, 2018
#ISROMissions #GSLVMkIIID2 launches #GSAT29. Credit goes to entire #ISROTeam for this achievement, says Dr K Sivan, Chairman. pic.twitter.com/qrXLpIKa4U
— ISRO (@isro) November 14, 2018
जीसैट-29 उपग्रह में मौजूद प्रणोदन प्रणाली का इस्तेमाल करते हुए इसे अंतिम भूस्थैतिक कक्षा (जीईओ) में पहुंचाया जाएगा, और प्रक्षेपक से अलग होकर निर्धारित कक्षा में पहुंचने में कुछ दिनों का वक्त लग सकता है.
जीसैट-29 अगले 10 साल तक अंतरिक्ष में काम करेगा. इसरो ने इसे लांच करने के लिए GSLV-एमके 3 राकेट का इस्तेमाल किया जो कि भारत का सबसे वजनी रॉकेट है. यह पूरी तरह भारत में बना है. इस विशाल रॉकेट की ऊंचाई किसी 13 मंजिली इमारत के बराबर है और यह चार टन तक के उपग्रह को अंतरिक्ष में भेजने में सक्षम है.