पति-पत्नी और 'वो' का रिश्ता अब अपराध नहीं, SC का बड़ा फैसला; जानिए बाकी देशों में क्या है कानून
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit-Pixabay/PTI)

नई दिल्ली: 158 साल पुराने कानून IPC 497 (व्यभिचार) की वैधता पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अपना फैसला सुना दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जो भी सिस्टम महिला को उसकी गरिमा से विपरीत या भेदभाव करता है वो संविधान के कोप को इनवाइट करता है. आगे कहा कि जो प्रावधान महिला के साथ गैरसमानता का बर्ताव करता है वो असंवैंधानिक है. सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने एकमत से ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा कि महिला के साथ किसी भी तरह से असम्मानजनक व्यवहार नहीं किया जा सकता है. SC कोर्ट ने कहा कि लोकतंत्र की खूबी ही 'मैं, तुम और हम की है।'

ज्ञात हो कि सुप्रीम कोर्ट (SC) में पांच जजों की संविधान पीठ ने 9 अगस्त को व्यभिचार की धारा IPC 497 पर फैसला सुरक्षित रखा था. पीठ तय करेगी कि यह धारा अंसवैधानिक है या नहीं, क्योंकि इसमें सिर्फ पुरुषों को आरोपी बनाया जाता है, महिलाओं को नहीं. यह भी पढ़े-सुप्रीम कोर्ट ने एडल्टरी लॉ को किया खारिज, कहा- व्यभिचार कानून मनमाना

मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस खानविलकर ने अपने फैसले में कहा कि अडल्टरी तलाक का आधार हो सकता है लेकिन यह अपराध नहीं होगा जिस पर तीन अन्य जजों ने भी सहमति जताई. मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि आईपीसी की धारा 497 महिला के सम्मान के खिलाफ है. मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि पति कभी भी पत्नी का मालिक नहीं हो सकता है.

इसी कड़ी में बता दें कि SC ने जब यह फैसला सुनाया तो ऐसे देशों का उदाहरण दिया जहां एडल्ट्री अपराध नहीं है. हालांकि भारत के अलावा एशिया (Asia) के केवल तीन देशों में ही विवाहेत्तर संबंध अपराध की श्रेणी में रखे गए थे. इन देशों का नाम ताइवान (Taiwan), फिलीपींस (Philippines) और दक्षिण कोरिया (South Korea) है. जिसमें 2015 में दक्षिण कोरिया भी अपराध की श्रेणी से बाहर हो गया था. यह भी पढ़े-महिलाओं को व्यभिचार का ज़िम्मेदार ठहराने वाली याचिका का केंद्र ने SC में विरोध किया

वहीं दूसरी तरफ फिलीपींस में ऐसे मामले में 4 महीने से लेकर 6 साल तक की सजा का प्रावधान है. ताइवान में विवाहेत्तर संबंध के अपराध में एक साल जेल की सजा का प्रावधान है. अगर पुरुष इस अपराध में पकड़ा जाता है तो उसे माफी भी मिल जाती है, वहीं महिलाओं के साथ यहां भेदभाव होता है.

जापान (Japan) में 1947 में ही विवाहेत्तर संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया गया था. तुर्की भी 1996 में अपराध की श्रेणी से बाहर हो गया था. वहीं पाकिस्तान, सऊदी और सोमालिया जैसे कई मुस्लिम देशों में विवाहेत्तर संबंधों के लिए गंभीर सजा दी जाती है.

सऊदी (Saudi) में पत्थर मारकर जान से मार दिया जाता है, पाकिस्तान (Pakistan) में पत्थर मारना या सार्वजनिक रूप से 100 कोड़े की सजा का प्रावधान है या फिर 10 साल की जेल भी हो सकती है.

वही सोमालिया में पत्थर मारकर जान से मारने की सजा, ईरान में फांसी, मिस्र में महिलाओं को 2 साल और पुरुषों को 6 महीने की जेल और अफगानिस्तान में सार्वजनिक रूप से 100 कोड़े मारने की सजा मिलती है.

वही अमेरिका (US) के 21 राज्यों में भी विवाहेत्तर संबंध अवैध है लेकिन न्यूयॉर्क में इसे बहुत छोटा अपराध माना जाता है. इसके अलावा ओकालाहोमा, मिशिगन, इदाहो जैसे राज्यों में यह अपराध है. हालांकि एशिया के कई देशों, अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया (Australia) आदि में विवाहेत्तर संबंध अपराध नहीं हैं.