लंदन की अदालत द्वारा भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या (Vijay Mallya) के प्रत्यर्पण की मंजूरी के बाद माल्या ने भारत आने को लेकर एक बार फिर बयान दिया. माल्या ने कहा कि भारत का ध्यान पैसा वसूलने के बजाय उन्हें देश में लाने पर ज्यादा है. माल्या ने कहा कि पता नहीं क्यों मुझे भारत लाने का प्रयास किया जा रहा है. माल्या ने कहा कि वो भारत से कभी भागे ही नहीं बल्कि 1992 से वो ब्रिटेन के स्थायी निवासी हूं और उनका बिजनेस और घर सब ब्रिटेन में ही रहा है. माल्या ने कहा कि- 'मैं 1988 से एनआरआई रहा हूं और 1992 में ब्रिटेन में स्थायी निवास प्रदान किया गया था.
2002 में, जब मैं पहली बार सांसद चुना गया था तो बीजेपी ने चुनाव आयोग और कर्नाटक हाईकोर्ट के समक्ष मेरे चुनाव को चुनौती दी थी. उन्होंने मेरे एनआरआई होने को मुद्दा बनाया था. लेकिन मैं दोनों जीता. यह एक गलत धारणा है कि 1992 के बाद मेरा प्राथमिक घर और व्यापार भारत में था. असल में मेरा आधार यूके में था, इसलिए मुझे ये बात कभी समझ ही नहीं आई कि मैं भारत से भाग गया.'
बता दें कि विजय माल्या पर भारत अलग-अलग बैंको से करीब 9,000 करोड़ रुपए की धोखा-धड़ी का आरोप है. न्यूज चैनल एनडीटीवी को दिए इंटरव्यू में माल्या ने कहा कि वेस्टमिनिस्टर कोर्ट द्वारा उनके भारत प्रत्यर्पण पर मुहर लगाने के बाद वो हाई कोर्ट में अपील का रास्ता अपना सकते हैं. इतना ही नहीं माल्या ने यह भी कहा =कि उन्हें लोन डिफॉल्ट का पोस्टर ब्वॉय सिर्फ इसलिए बनाया जा रहा है क्योंकि सरकार कई और बड़े घोटालेबाज हैं जिनपर सरकार ध्यान नहीं दे रही.
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विजय मल्ल्या ने कहा कि 'मैं सुप्रीम कोर्ट से बहुत पहले 2016 की शुरुआत से ही मामले को खत्म करने का प्रस्ताव दे रहा हूं. लेकिन बैंकों को सीबीआई और ईडी की तरफ से सख्त निर्देश दिए गए थे कि वो मेरे हर प्रस्ताव को ठुकरा दें. क्योंकि फिर सीबीआई और ईडी मुझे दोषी नहीं बना पाती. आज ईडी और बैंक मेरी संपत्ति के लिए लड़ रहे हैं. इसलिए मैंने कर्नाटक हाई कोर्ट के सामने अपना सेटलमेंट प्रस्ताव प्रस्तुत किया है. ताकि अदालत मेरी संपत्ति बेच सके और कर्मचारियों, बैंकों और अन्य लेनदारों को दे सके.