नई दिल्ली/श्रीनगर : देश जब कारगिल (Kargil) युद्ध की 20वीं वर्षगांठ मना रहा है, इसी बीच पूर्व सैन्य अधिकारियों का कहना है कि इससे सीख मिली है और पाकिस्तान (Pakistan) के लिए अब 1999 को दोहराना असंभव है. साल 1999 में मई की शुरुआत में जम्मू एवं कश्मीर (Jammu-Kashmir) के कारगिल सेक्टर में पहाड़ी चोटियों के बीच पाकिस्तानी सेना ने घुसपैठ की थी, जिन्हें शुरू में आतंकवादी समझा गया था.
इसके बाद भारतीय सेना ने जब उन्हें निकालने के लिए अभियान छेड़ा, तो पाया कि घुसपैठिए पाकिस्तानी सैन्य कर्मी हैं और भारी हथियारों से लैस हैं. कारगिल सेक्टर में इसके बाद भारी युद्ध शुरू हो गया जो लगभग तीन महीनों तक चला और इसमें भारत के 526 सैनिक शहीद हो गए. अच्छी तरह स्थापित चौकियों पर मोर्चाबंदी कर चुके पाकिस्तानी सैनिकों को खदेड़ने के लिए चलाया गया ऑपरेशन विजय 26 जुलाई को खत्म हुआ.
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पूर्व नौसेना प्रमुख अरुण प्रकाश ने आईएएनएस को बताया कि यह 'खुफिया एजेंसियों की विफलता थी'. उन्होंने कहा कि पूर्व नौकरशाह के. सुब्रमण्यम की अध्यक्षता में सरकार द्वारा गठित समिति ने भी अपनी रिपोर्ट में यही कहा था. सेना के पूर्व अधिकारियों ने कहा कि 1999 तक कारगिल सेक्टर में काफी कम तैनाती थी, लेकिन युद्ध के बाद सब कुछ बदल गया और सभी कमियों को दूर किया गया.
तोलोलिंग और टाइगर हिल पर कब्जा करने में संलिप्त 18 ग्रेनेडियर्स के कमांडिंग अफसर ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) कुशल ठाकुर ने भी कहा कि कारगिल में पाकिस्तान की घुसपैठ के पीछे सबसे बड़ा कारण खुफिया एजेंसियों की असफलता थी. उन्होंने कहा कि स्थिति का सही मूल्यांकन नहीं किया गया. उन्होंने कहा कि तबसे सभी रास्तों को बंद कर दिया गया और सीमाओं पर समुचित तैनाती की गई है.
ठाकुर ने आईएएनएस से कहा, "पिछले 20 सालों में बहुत बदलाव आ गया है. हमारे पास अब बेहतर हथियार, तकनीक और सर्विलांस है तथा अब दूसरा 'कारगिल' नहीं हो सकता." ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) जे.एस. संधू के अनुसार, पाकिस्तानी सेना ने कारगिल को इसलिए चुना क्योंकि यह शांत क्षेत्र है. उन्होंने कहा, "कारगिल के बाद सब कुछ बदल गया है और भारत अब पहले से ज्यादा सुरक्षित है. सभी रास्तों को बंद कर दिया गया है और सर्विलांस तंत्र दुरुस्त कर दिया गया है."
उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी बहुत तेजी से आगे बढ़ रही है और समय के साथ-साथ हथियारों और अन्य उपकरणों को लगातार अपग्रेड करते रहना जरूरी है. तोलोलिंग, पीटी 5140 और टाइगर हिल पर दोबारा कब्जा करने वाले अभियान में ब्रिगेड कमांडर के तौर पर शामिल रहे लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) अमर लाल ने कहा, "हमें सबक मिल गया है."
उन्होंने कहा, "साल 1999 में कारगिल में नियंत्रण रेखा (एलओसी) की रक्षा करने के लिए हमारे पास सिर्फ एक बटालियन थी. आज कारगिल में एलओसी की रक्षा करने के लिए हमारे पास एक डिविजन कमांड के तहत तीन ब्रिगेड हैं."