Forest Fire in Uttarakhand: उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग से बर्बाद हुई 71 हेक्टेयर जमीन, खतरे में वन्यजीवों का जीवन
उत्तराखंड के जंगल में आग (Photo Credits: Twitter)

Forest Fire in Uttarakhand: देश में कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus Pandemic) के खिलाफ लड़ाई जारी है और लॉकडाउन (Lockdown) का चौथा चरण चल रहा है. देश के बाकी राज्यों की तरह उत्तराखंड (Uttarakhand) में भी कोविड-19 (COVID-19) के मामले बढ़ रहे हैं, इस बीच यह राज्य एक और त्रासदी से घिर गया है. दरअसल, पिछले चार दिनों से उत्तराखंड जल रहा है. आसमान से बरसती आग और बढ़ते तापमान के कारण उत्तराखंड के जंगलों में आग (Forest Fire in Uttarakhand) लगने की कई घटनाएं सामने आई हैं. यहां जंगलों में आग की 45 से भी ज्यादा घटनाएं दर्ज की गई हैं, जिसके चलते 71 हेक्टेयर से अधिक जमीन बर्बाद हो गई है. जंगल में लगी आग के कारण जंगलों में रहने वाले वन्यजीवों (Wild Life) के जीवन पर संकट मंडरा रहा है. पिछले साल इसी तरह के जंगल की आग ने अल्मोड़ा, नैनीताल, टिहरी, देहरादून और हल्द्वानी में सैकड़ों हेक्टेयर भूमि को नष्ट कर दिया था.

कुमाऊं क्षेत्र में आग की कम से कम 21 घटनाएं सामने आई हैं, जबकि गढ़वाल क्षेत्र में जंगल में आग की 16 घटनाएं दर्ज की गई हैं. अनरक्षित वन क्षेत्र में जंगल की आग की नौ घटनाएं देखी गईं. खबरों के मुताबिक, जंगल में आग लगने से दो लोगों की जान चली गई, जबकि एक व्यक्ति घायल हो गया. इस बीच उत्तराखंड के जंगल की आग की कई तस्वीरें इंटरनेट पर वायरल हो रही हैं.

देखें तस्वीरें-

पीआईबी उत्तराखंड (PIB Uttarakhand) द्वारा शेयर किए गए एक ग्राफ के अनुसार, पिछले साल की तुलना में इस साल जंगल की आग की घटनाओं में कमी आई है. आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल इसी अवधि में 1590 हेक्टेयर भूमि की तुलना में 25 मई तक जंगल में लगी आग के कारण 71.46 हेक्टेयर भूमि प्रभावित हुई है. यह भी पढ़ें: उत्तराखंड के जंगलों में लगी भीषण आग, पांच हेक्टेयर तक के जंगल जलकर खाक

पीआईबी का ट्वीट-

प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो ने एक ट्वीट में लोगों को सलाह दी है कि वे गलत सूचनाओं के शिकार न बनें. पीआईबी एक अनुसार, पिछले साल की तुलना में गर्मी के इस मौसम में उत्तराखंड में आग की घटनाओं में कमी आई है. दरअसल, कम मानवजनित गतिविधि और आंशिक रूप से हुई बारिश के कारण इस साल आग की घटनाओं में कमी दर्ज की गई है.