Farmers Protest: केंद्र सरकार द्वारा पिछले साल लागू तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर किसानों का आंदोलन पिछले डेढ़ महीने से ज्यादा समय से जारी हैं. हालांकि मामला सुप्रीम कोर्ट में जाने के बाद कोर्ट ने तीनों कानूनों पर अस्थाई रोक लगाते हुए एक चार सदस्यों की समिति का गठन करवाया. यह टीम दो महीने के अंदर कोर्ट को तीनों कृषि कानूनों पर अपनी रिपोर्ट सौपेंगी. कोर्ट द्वारा तीनों कानूनों पर अस्थाई रोक जरूर लगा दी गई. लेकिन किसान इस फैसले से खुश नहीं है. उन्होंने कहा है कि जब तक कानून वापस नहीं होंगें तक उनका यह आंदोलन जारी रहेगा. इस बीच कृषि कानूनों को लेकर आंदोलन कर रहे किसानों ने लोहड़ी के मौके पर सिंघु बॉर्डर (Singhu Border) पर तीनों कानूनों की प्रतियां जलाकर सरकार के प्रति विरोध जताया.
कृषि कानूनों की कापियों जलाने से पहले किसान नेताओं ने मीडिया के बातचीत में कहा कि आंदोलनकारी किसान लोहड़ी पर्व पर आज (बुधवार) नये कानूनों की प्रतियां जलाकर अपना विरोध जताएंगे. भारतीय किसान यूनियन (लाखोवाल) के जनरल सेक्रेटरी हरिंदर सिंह ने कहा पंजाब, हरियाणा समेत देश के अन्य प्रांतों में भी लोहड़ी पर्व पर किसान तीनों कृषि कानूनों की प्रतियां जलाकर अपना विरोध जताएंगे. नये कृषि कानूनों पर किसानों की आपत्तियों और उनके समाधान के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी के मसले पर पूछे गए सवाल पर हरिंदर सिंह ने कहा, किसान तीनों कानूनों को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं, इसलिए किसी कमेटी में जाने की बात उनको मंजूर नहीं है. यह भी पढ़े: Farmers Protest: सुप्रीम कोर्ट के फैसले से खुश नहीं किसान, कहा- ये हमारा आंदोलन खत्म करने के लिए सरकार का पैंतरा, संघर्ष जारी रहेगा
#WATCH | Farmers protesting at Singhu Border burn copies of the #FarmLaws#Lohri pic.twitter.com/t6eY6aNLOo
— ANI (@ANI) January 13, 2021
वहीं अमृतसर से कांग्रेस सांसद गुरजीत सिंह औजला ने जंतर-मंतर पर कृषि कानूनों की प्रतियां जलाकर सरकार के प्रति विरोध जताया. कांग्रेस सांसद आग के हवाले तीनों प्रतियां करते हुए सरकार से इस काले कानून को रद्द करने की मांग की.
Delhi: Congress MP from Amritsar, Gurjeet Singh Aujla tears and burns a copy of the farm laws at Jantar Mantar#Lohri pic.twitter.com/bc2h24VW02
— ANI (@ANI) January 13, 2021
बता दें कि आंदोलनकारी किसान देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर पिछले साल 26 नवंबर 2020 से डेरा डाले हुए हैं. उनका कहना है कि सरकार जब तक उनकी मांगे नहीं मानेगी तब तक उनका आंदोलन इसी तरफ से चलता रहेगा. किसान नेताओं ने कृषि कानूनों के अमल पर अस्थाई रोक लगाये जाने के बाद टीम गठन पर भी सवाल उठाया हैं.