
Farmers Protest: किसान आंदोलन और कृषि कानूनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई. कोर्ट मामले में सुनवाई करते हुए तीनों कृषि कानूनों को लागू करने पर रोक लगा दी. सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगाये गए यह रोक अगले आदेश तक जारी रहेगी. वहीं कोर्ट ने इस पूरे मामले को लेकरचार सदस्यीय कमेटी का गठन कर दिया है जिनमें कृषि विज्ञान से जुड़े विशेषज्ञ होंगे. ये कमेटी किसानों की आपत्तियों पर विचार करेगी. कोर्ट के फैसले से किसान खुश भी हैं और नाराज भी हैं. इस बीच कृषि कानूनों को लेकर सरकार को लगातर घेरने वाले कांग्रेस पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने मंगलवार को एक बार फिर घेरने की कोशिश की हैं.
राहुल गांधी ने किसानों के हक़ में एक ट्वीट किया, उन्होंने लिखा उन्होंने लिखा, क्या कृषि-विरोधी क़ानूनों का लिखित समर्थन करने वाले व्यक्तियों से न्याय की उम्मीद की जा सकती है? ये संघर्ष किसान-मज़दूर विरोधी क़ानूनों के ख़त्म होने तक जारी रहेगा।जय जवान, जय किसान!, वहीं राहुल गांधी से पहले पूर्व केन्द्रीय पी चिदंबरम ने भी एक ट्वीट किया, उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जहां स्वागत किया हैं. वहीं कमेटी के गठन पर सवाल उठाए. यह भी पढ़े: Farmers Protest: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद नहीं थम रही सियासी बयानबाजी, जानिए बीजेपी सहित विपक्षी पार्टियों के नेताओं की प्रतिक्रियाएं
क्या कृषि-विरोधी क़ानूनों का लिखित समर्थन करने वाले व्यक्तियों से न्याय की उम्मीद की जा सकती है?
ये संघर्ष किसान-मज़दूर विरोधी क़ानूनों के ख़त्म होने तक जारी रहेगा।
जय जवान, जय किसान!
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) January 12, 2021
वहीं सुप्रीम कोर्ट की कमेटी के सदस्य अनिल घनवट किसानों के आंदोलन को लेकर कहा ये आंदोलन कहीं रूकना चाहिए और किसानों के हित में एक क़ानून बनना चाहिए. कानूनों को रद्द करने की बजाए उनमें संशोधन होना चाहिए. आंदोलनकारी किसान नेताओं को कमेटी के साथ कार्य करके अपनी बात रखनी चाहिए.
ये आंदोलन कहीं रूकना चाहिए और किसानों के हित में एक क़ानून बनना चाहिए। क़ानूनों को रद्द करने की बजाए उनमें संशोधन होना चाहिए। आंदोलनकारी किसान नेताओं को कमेटी के साथ कार्य करके अपनी बात रखनी चाहिए: अनिल घनवट, सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटी के सदस्य #FarmLaws pic.twitter.com/UwIGvqLisw
— ANI_HindiNews (@AHindinews) January 12, 2021
बता दें कि कृषि कानूनों को रद्द करने को लेकर किसान 26 नवंबर से आंदोलन कर रहे हैं. इस कानून को रद्द करने की मांग को लेकर सरकार और किसान संगठन के बीच आठ बार वार्ता हो चुकी हैं. लेकिन सरकार के बीच इस कानून को रद्द करने की मांग को लेकर बात नहीं बन पा रही हैं. सरकार का जहां कहना है कि वह तीनों क़ानून में सिर्फ संशोधन करेगी. वहीं किसान अपने जिद पर अड़े हुए हैं कि उन्हें संशोधन नहीं बल्कि पूरे कानून को रद्द किया जाए. जिसके बाद ही वे अपना आंदोलन खत्म करेंगे.