Eco-Tourism: टूरिज्म से लाखों लोगों को रोजगार मिलता है, साथ ही राजस्व में भी वृद्धि होती है. लेकिन आजकल ईको टूरिज्म पर्यटकों को लुभा रहा है. पर्यटक भी इन दिनों ऐसी जगह पर ही जाना पसंद कर रहे हैं, जहां इको टूरिज्म को बढ़ावा दिया जा रहा है. ऐसे में यूपी सरकार भी ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए काम कर रही है. इसके लिए राज्य के पर्यटन विभाग ने वन विभाग से मिलकर योजना तैयार कर ली है और काम भी शुरू हो चुका है। सरकार अब जिले में पर्यटन की दृष्टि से महत्व के स्थलों का विकास करेगी. इन स्थलों पर सरकार जन सुविधाएं भी उपलब्ध कराएगी जिससे राजस्व में भी बढ़ोतरी होगी.
क्या है ईको टूरिज्म
ईकोटूरिज्म से अर्थ है प्राकृतिक सौंदर्य का के करीब जाना और उसका आनंद लेना. इको टूरिज्म पर्यटकों को प्राकृतिक क्षेत्रों एवं प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर क्षेत्रों की यात्रा करता है. ऐसी जगहों पर प्रकृति और पर्यावरण का संरक्षण के सभी उपाय किए जाते हैं. अगर आसान शब्दों में कहा जाए तो ईकोटूरिज्म प्रकृति और पर्यावरण की देखभाल एवं उसके संरक्षण करने से है. आज के समय में लोग ऐसे क्षेत्रों में जाना चाहते हैं, जहां प्राकृतिक खूबसूरती हो. यह भी पढ़े: योगी सरकार का बड़ा फैसला, UP के 5 लाख से ज्यादा युवाओं को जल्द मिलेंगे फ्री टैबलेट और स्मार्टफोन
ऐसे में यूपी सरकार ने भी इस ओर प्रयास शुरू कर दिए हैं. तराई में बसे सीमावर्ती सिद्धार्थनगर जिले की बात हो, तो महात्मा गौतम बुद्ध और कालानमक की याद आनी स्वाभाविक ही है, लेकिन अगर आपसे कहा जाए कि सिद्धार्थनगर जाइये, तो मनोहारी मझौली सागर भी देखिये तो बहुत संभव है कि आप आश्चर्य में पड़ जाएं. कुछ ऐसा ही आश्चर्य आजमगढ़ में बढ़ेला ताल और जौनपुर के घूमर ताल की बात पर भी हो सकता है, लेकिन बहुत जल्द प्राकृतिक सुरम्यता से परिपूर्ण ऐसे अनेक क्षेत्र इको पर्यटन के मानचित्र पर देखने को मिलेंगे.
वन डिस्ट्रिक्ट वन डेस्टिनेशन
सीएम योगी के निर्देश पर वन विभाग प्रदेश के हर जिले से ऐसे संभावनाओं वाले क्षेत्रों को चिह्नित कर रहा है, जिनका वन डिस्ट्रिक्ट वन डेस्टिनेशन (ओडीओडी) के अंतर्गत विकास किया जाएगा, जिससे यह जगह पर्यटन से कदमताल मिला सकें. अब तक 56 जिलों में ऐसे स्थल चिन्हित किए जा चुके हैं। प्रदेश सरकार ने अपना ध्यान हर जिले की विशेषताओं को उभार उसको रोजगार एवं आय के साधन के तौर पर विकसित करने पर केंद्रित किया है। इसी कड़ी में ओडीओपी के तहत हर जिले से एक उत्पाद चिह्नित कर उसके उत्पादन, पैकेजिंग पर ध्यान दिया गया. उत्पादों के साथ ही हर क्षेत्र की पर्यटन एवं सांस्कृतिक विशेषताओं को भी बाजार एवं आय से जोड़ने की कवायद शुरू की गई है. इको टूरिज्म ओडीओडी इसका ही हिस्सा है.
यूपी में इको टूरिज्म की अपार संभावनाएं
वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि उत्तर प्रदेश में इको टूरिज्म के लिए भी अपार संभावनाएं हैं। हर जिले का स्थान विशेष प्राकृतिक, पर्यावरणीय या वन्य पर्यटन के लिहाज से मुफीद है। इन स्थलों को आपस में जोड़ा जाए, तो यह पिकनिक या वन-डे-टूर के तौर पर पर्यटकों को लुभा सकते हैं। वहीं, स्थानीय स्तर भी पिकनिक आउटिंग की मुफीद जगह के तौर पर विकसित हो सकते हैं. ऐसे में ओडीओडी के तहत ऐसे ही जगहों को चयनित कर उन्हें विकसित किया जाएगा. इसके लिए इको टूरिज्म बोर्ड भी बनाया जा रहा है.
56 जिलों के स्थल चिन्हित
अब तक मऊ, शाहजहांपुर, बस्ती, हाथरस, हमीरपुर, अमेठी, सीतापुर, बाराबंकी, अयोध्या, फतेहपुर, जौनपुर, कौशांबी, आजमगढ़, अंबेडकरनगर, कानपुर, गोरखपुर सहित 56 जिलों से स्थल चिह्नित कर उसके प्रस्ताव राज्य सरकार और उसके संबंधित विभागों को भेजे जा चुके हैं. इन स्थलों का पर्यटन चयनित स्थलों पर बुनियादी सुविधाएं मसलन सड़क, बिजली, पानी, शौचालय, रेस्ट रूम के साथ ही सुरक्षा के इंतजाम किए जाएंगे। इसके बाद इन्हें पर्यटन डायरेक्ट्री में शामिल किया जाएगा.