Dagdusheth Halwai Ganpati Temple: पुणे के दगडू शेठ गणपति मंदिर को 2 हजार किलो काले और हरे अंगूरों से सजाया, सोशल मीडिया पर वीडियो आया सामने (Watch Video)
Credit-(X,@ThePuneMirror)

Dagdusheth Halwai Ganpati Temple: होली के अवसर पर शुक्रवार को पुणे के प्रसिद्ध श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई गणपति मंदिर में अंगूर महोत्सव मनाया गया.मंदिर को नासिक के सह्याद्रि फार्म द्वारा आपूर्ति किये गए  दो हजार किलो रसायन मुक्त अंगूरों से सजाया गया था.अंगूर महोत्सव मंदिर का वार्षिक कार्यक्रम है, जिसे उत्साहपूर्वक मनाया जाता है.

हर साल मंदिर परिसर को 2,000 किलो काले और हरे अंगूरों से सजाया जाता है, जो भक्तों के लिए एक मंत्रमुग्ध कर देने वाला नजारा होता है. इस दौरान एक वीडियो सामने आया है. जिसमें मंदिर काफी खुबसूरत दिखाई दे रहा है. इस वीडियो को सोशल मीडिया X पर @ThePuneMirror नाम के हैंडल से शेयर किया गया है.ये भी पढ़े:Dagdusheth Temple Pune: 2 हजार किलों अंगूरों से सजाया गया दगडूशेठ हलवाई गणपति मंदिर -Video

दगडू शेठ गणपति मंदिर को अंगूरों से सजाया

अंगूरों को ससून जनरल हॉस्पिटल और पिताश्री ओल्ड एज होम भेजा जाता है

ये अंगूर विभिन्न संस्थाओं, जैसे ससून जनरल हॉस्पिटल और पिताश्री वृद्धाश्रम, के साथ-साथ बप्पा का आशीर्वाद लेने वाले भक्तों के बीच वितरित किए जाते हैं. जिससे की दुसरे पीड़ितों की भूख भी मिट जाती है और उन्हें आशीर्वाद भी प्राप्त होता है.

ट्रस्ट ने दी जानकारी

मंदिर ट्रस्ट के प्रमुख सुनील रसाने ने बताया, 'आयुर्वेद में अंगूर का स्वास्थ्य के लिए बहुत महत्व है. अंगूर हृदय रोग के जोखिम को कम करता है. इसके सेवन से मस्तिष्क पर बढ़ती उम्र का असर कम होता है. अंगूर में मौजूद फाइबर मल त्याग को आसान बनाता है. यह शरीर में खून की कमी को भी पूरा करता है और हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाता है. हरे अंगूर खास तौर पर हीमोग्लोबिन बढ़ाने में मदद करते हैं.

इसलिए अंगूर का सेवन स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है.इस अवसर पर रसाने के साथ ट्रस्ट के उपाध्यक्ष माणिक चव्हाण और बालासाहेब परांजपे, कोषाध्यक्ष महेश सूर्यवंशी, महासचिव हेमंत रासने, महोत्सव प्रमुख अक्षय गोडसे, संयुक्त सचिव अमोल केदारी, सुवर्णयुग तरुण मंडल के अध्यक्ष प्रकाश चव्हाण, सह्याद्रि फार्म के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक विलास शिंदे और सह्याद्रि फार्म के अन्य पदाधिकारी भी उपस्थित थे.दगडूशेठ हलवाई गणपति मंदिर 130 साल से भी ज़्यादा पुराना है. मंदिर के अधिकारियों के अनुसार, भगवान गणेश की मूर्ति को दगडूशेठ हलवाई और उनकी पत्नी लक्ष्मीबाई ने तब स्थापित किया था जब उनका इकलौता बेटा प्लेग महामारी में मर गया था, इसलिए इसे श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई गणपति कहा जाता है.