नई दिल्ली. दक्षिणी दिल्ली में 7 कॉलोनी बनाने के लिए अलग-अलग इलाकों में लगभग 17 हजार से ज्यादा पेड़ों को काटे जाने के फैसले पर दिल्ली हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है. अदालत ने 4 जुलाई को होने वाली सुनवाई तक इस मामले पर रोक लगा दिया है. बता दें कि सुनवाई के दौरान अदालत ने एनबीसीसी से पूछा कि आप मकान बनाने के लिए हजारों पेड़ काटना चाहते हैं और क्या दिल्ली ये अफोर्ड कर सकते है.
बता दें कि कुछ दिनों पहले ही दक्षिणी दिल्ली के विभिन्न इलाकों में कॉलोनियों के पुनर्विकास के लिए पेड़ों को काटने का आदेश दिया गया था. जिसके बाद से इस फैसले का विरोध होने लगा. यहां तक लोगों ने चिपको आंदोलन शुरू कर दिया और इस फैसले को वापस लेने की मांग करने लगे. वहीं यह मसला सियासी रंग लेने लगा और अब राजनीतिक बहसबाजी और एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया.
Felling of trees for redevelopment of 7 colonies in South Delhi: NBCC and Central Public Works Department gave assurance to Delhi High Court that they will not cut any trees till 4th July, next date of hearing in the case.
— ANI (@ANI) June 25, 2018
केंद्र के इस फैसले के विरोध में आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली सरकार इसके खिलाफ है. उन्होंने कहा कि इस तरह से अगर पेड़ो की कटाई होती है तो उसका असर पर्यावरण पर जरुर पड़ेगा. बता दें कि दिल्ली वैसे प्रदुषण की मार झेल रहा है. ऐसे इस तरह से पेड़ो की कटाई होती है तो उसका असर जरुर इंसान के स्वस्थ पर पड़ सकता है.